सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय सूचना-प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन को बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सूचना-प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन के खिलाफ चल रहे आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह आदेश दिया है.
मामले की सुनवाई के दौरान मुरुगन के वकील ने कहा कि उनका मकसद कभी भी ट्रस्ट के अपमान करना या उसके सम्मान को नुकसान पहुचाना नही था. कोर्ट ने आदेश देते हुए यह भी कहा कि अगर राजनीति में रहना है तो चमड़ी गैंडे जैसी मोटी होनी चाहिए.
राजनीति में बयानबाजी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जैसे ही कोई व्यक्ति राजनीति में घुसता है, वैसे ही उसे सभी तरह की गैरजरूरी बयानबाजी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए. वही ट्रस्ट की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे राजनीति में शामिल नही है. कोर्ट ने ट्रस्ट के वकील से कहा कि याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि उनका इरादा आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नही था.
मुरासोली ट्रस्ट ने दर्ज कराई थी शिकायत
कोर्ट ने कहा कि उन्हें जनता के सामने लड़ाई लड़नी चाहिए. अदालत ने कहा कि आजकल महाराष्ट्र में कहा जाता है कि अगर आपको राजनीति में रहना है तो आपके पास गैंडे की खाल होनी चाहिए. मुरुगन द्वारा दिसंबर 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित मानहानि करने वाले बयानों के खिलाफ चेन्नई स्थित मुरासोली ट्रस्ट ने आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी.
मुरुगन ने मद्रास हाईकोर्ट के 5 सितंबर 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था मुरुगन ने आम जनता की नजर में मुरासोली ट्रस्ट की प्रतिष्ठा खराब करने के लिए बयान दिए थे. हालांकि मुरुगन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि मानहानि का बयान ट्रस्ट के खिलाफ नही दिया गया था, इसलिए कोई मामला नहीं बनता है.
-भारत एक्सप्रेस
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