वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग में वृद्धि के कारण देश का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 778 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में यह 466 बिलियन डॉलर था, जो कि 67 प्रतिशत की शानदारी वृद्धि को दर्शाता है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि विश्व वस्तु निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 1.66 प्रतिशत से बढ़कर 1.81 प्रतिशत हो गई है और देश 20वें स्थान से 17वें स्थान पर पहुंच गया है.
यह उपलब्धि सरकार द्वारा निर्यात वृद्धि को बनाए रखने और निर्यात को तेज करने के लिए कई पहलों को लागू करने के कारण हासिल हुई है. नीति आयोग ट्रेड वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश के व्यापार प्रदर्शन ने स्थिरता और मध्यम वृद्धि प्रदर्शित की.
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की पहली छमाही में भारत का कुल व्यापार 2023 की तुलना में 5.45 प्रतिशत बढ़कर 576 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. माल के आयात में लगातार वृद्धि देखी गई, वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में निर्यात 5.95 प्रतिशत बढ़कर 110 बिलियन डॉलर और आयात 8.40 प्रतिशत बढ़कर 173 बिलियन डॉलर हो गया, जिससे व्यापार असंतुलन बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में, भारतीय लोहा और इस्पात निर्यात में 33 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर घरेलू मांग और चीन में अतिरिक्त क्षमता थी, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक बाजारों में इस्पात की अधिक आपूर्ति हुई.
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वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के दौरान, एफटीए भागीदारों को निर्यात वृद्धि 12 प्रतिशत रही, जबकि इन भागीदारों से आयात वृद्धि 10.29 प्रतिशत रही. भारत के निर्यात में उत्तरी अमेरिका का योगदान 21 प्रतिशत रहा, जिसके बाद यूरोपीय संघ का योगदान 18.61 प्रतिशत रहा. आयात मुख्य रूप से पूर्वोत्तर एशिया, पश्चिम एशिया (जीसीसी) और आसियान से हुआ, जो कुल आयात का 51 प्रतिशत था. इस बीच, भारत ने कई प्रमुख उत्पाद श्रेणियों के निर्यात में तेज वृद्धि दर्ज की है, जिसके साथ देश ने शीर्ष 10 वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में अपनी रैंक को बनाए रखा है और सुधार किया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर पर देश के रणनीतिक फोकस ने प्रभावशाली परिणाम दिए हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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