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भारत ने ग्रीन टेक्नोलॉजी निवेश में चीन को पछाड़ा, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने से निवेशकों की रुचि बढ़ी

भारत की स्थानीय स्वच्छ ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिशें इस बदलाव के प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा, भारत ग्रीन टेक्नोलॉजी का निर्यातक बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है.

प्रतीकात्मक चित्र- AI जनरेटेड

हाल के दिनों में भारत ग्रीन टेक्नोलॉजी निवेश का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है. ब्लूमबर्ग न्यू एनर्जी फाइनेंस (Bloomberg NEF) के आंकड़ों के अनुसार, तीसरी तिमाही में भारत में लगभग 2.4 बिलियन डॉलर के सौदे हुए, जो चीन में हुए निवेश का चार गुना है. यह राशि वैश्विक स्तर पर अमेरिका के बाद दूसरी सबसे बड़ी है.

भारत की स्थानीय स्वच्छ ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिशें इस बदलाव के प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा, भारत ग्रीन टेक्नोलॉजी का निर्यातक बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. जीईएफ कैपिटल पार्टनर्स के सह-संस्थापक राज पाई ने कहा, “क्लाइमेट सेक्टर में सार्वजनिक और निजी पूंजी के लिए आकर्षण बहुत अधिक है.”

सरकारी नीतियों का असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की हैं. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, दशक के अंत तक भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार सबसे तेज गति से होगा.

इस साल 12 से अधिक नवीकरणीय और इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों ने शेयर बाजार में अपनी शुरुआत की है. इनमें सोलर पैनल निर्माता वारी एनर्जीज लिमिटेड और स्कूटर निर्माता ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड प्रमुख हैं. एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के शेयर पिछले महीने लिस्ट होने के बाद से 30% से अधिक बढ़े हैं.

जलवायु निवेश का बढ़ता रुझान

ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट (BII) के तकनीकी और दूरसंचार प्रमुख अभिनव सिन्हा ने कहा, “भारत में वर्तमान में जलवायु सबसे आकर्षक क्षेत्र है.” BII ने 2026 तक भारत में जलवायु परियोजनाओं पर कम से कम 1 बिलियन डॉलर निवेश करने का वादा किया है.

सिन्हा ने बताया कि भारत में वेंचर कैपिटल ग्रुप्स द्वारा बीज निवेश का लगभग एक चौथाई हिस्सा जलवायु से जुड़े स्टार्टअप्स में हो रहा है. हालांकि, 2023 में भारत ने 3.6 बिलियन डॉलर जुटाए हैं, जो चीन के 5.6 बिलियन डॉलर के मुकाबले कम है.

भारत का 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए 12.4 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. ईवर्सोर्स कैपिटल के सीईओ धनपाल झवेरी ने कहा, “हमें पूंजी के समुद्र की जरूरत है, जबकि अभी हम एक छोटे से जलाशय में हैं.”

ग्रीन स्टार्टअप्स का संघर्ष

भारत के लगभग 800 जलवायु स्टार्टअप्स में से केवल एक चौथाई ने पिछले दशक में पूंजी जुटाई है. IIMA वेंचर्स और मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, इन स्टार्टअप्स ने 10 साल में लगभग 3.6 बिलियन डॉलर जुटाए हैं, जो कि फिनटेक कंपनियों द्वारा जुटाए गए 19 बिलियन डॉलर से काफी कम है.

हालांकि, भारत में प्रदूषण को कम करने के लिए समाधान विकसित करने वाली कंपनियों के कारण जलवायु तकनीक बाजार तेजी से बढ़ने की संभावना है. मुंबई स्थित शुरुआती चरण की निवेश फर्म अवाना कैपिटल ने हाल ही में ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखला सहित क्षेत्रों में निवेश के लिए 135 मिलियन डॉलर जुटाए हैं.

परिवारिक निवेश कार्यालय और अन्य निवेशक भी इस क्षेत्र में बढ़ती रुचि दिखा रहे हैं. अवाना कैपिटल की संस्थापक साझेदार अंजलि बंसल ने कहा, “हम काफी आशावादी हैं क्योंकि हमें इस क्षेत्र में विकास दिख रहा है.”


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-भारत एक्सप्रेस



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