कुछ दिनों पहले संपन्न हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव नतीजे ने देश में विपक्ष की सियासत का समीकरण बदलना शुरू कर दिया है. राजद सुप्रीमो लालू यादव ने मांग की है कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस की बजाय बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंप देना चाहिए. लालू का यह बयान विपक्ष की राजनीति के लिए काफी हैरानी पैदा करने वाला हो सकता है, क्योंकि लालू सोनिया गांधी के बहुत ही करीबी रहे हैं.
इससे पहले भी इंडिया गठबंधन में यह मांग शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट, एनसीपी और समाजवादी पार्टी भी उठा चुकी है. इससे संकेत मिलते हैं कि कई विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और खास करके राहुल गांधी के नेतृत्व को नकारने लगे हैं. दरअसल हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे में इंडिया गठबंधन के खराब प्रदर्शन को लेकर ममता बनर्जी में ने भी नाराजगी जताई थी और साफ किया था कि अगर उनको मौका मिला तो वह जरूर इंडिया गठबंधन की कमान संभालने को तैयार हैं.
#WATCH | Patna: Former Bihar CM and RJD chief Lalu Yadav says, “… Congress’s objection means nothing. We will support Mamata… Mamata Banerjee should be given the leadership (of the INDIA Bloc)… We will form the government again in 2025…” pic.twitter.com/lFjXGkKrPm
— ANI (@ANI) December 10, 2024
तकरीबन ज्यादातर विपक्षी पार्टियों की भी यही राय है कि इंडिया गठबंधन का नेता राहुल गांधी या कांग्रेस के बजाय अब ममता बनर्जी को सौंप देना चाहिए. गठबंधन के तमाम नेता यह मानने लगे हैं कि कांग्रेस सभी दलों को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं है और हाल के विधानसभा चुनाव में हारने के बावजूद कांग्रेस में अहंकार दिखाई देता है. जबकि ममता दीदी गठबंधन के नेतृत्व करने में सक्षम है और उनका बीजेपी के खिलाफ स्ट्राइक रेट 70 फीसदी है जबकि राहुल गांधी का महज 10 फीसदी.
इंडिया गठबंधन में दरार
इंडिया गठबंधन बनने के बाद सबसे पहले नीतीश कुमार ने किनारा किया था लेकिन अब गठबंधन में शामिल कई पार्टियों कांग्रेस से किनारा करना चाहती हैं, क्योंकि आम चुनाव के बाद कांग्रेस लगातार अपनी जमीन खोती जा रही है. पहले जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला नायक बने और झारखंड में हेमंत सोरेन हीरो बने और हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी. और आप दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होने को हैं, ऐसे में इंडिया गठबंधन में आयी ये दरार सभी विपक्षी पार्टियों के लिए बहुत कठिन चुनौती साबित हो सकती है.
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-भारत एक्सप्रेस
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