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D Gukesh अब सबसे युवा वर्ल्ड चेस चैंपियन, AICF प्रेसिडेंट डॉ. संजय कपूर से जानिए कैसे पूरा हुआ भारतीयों का सपना

डोम्माराजू गुकेश (D Gukesh) ने शतरंज की दुनिया में नया इतिहास रच दिया है. उन्होंने 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप 2024 का खिताब अपने नाम कर लिया. AICF प्रेसिडेंट ने भारत को मिली इस उपलब्धि पर विस्तार से बात की.

Dr. Sanjay Kapoor, AICF President

18 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश. दाईं ओर- AICF प्रेसिडेंट डॉ. संजय कपूर.

World Chess Championship 2024: 18 साल की उम्र में भारत के डी. गुकेश शतरंज के विश्व विजेता बन गए हैं. शतरंज के इतिहास में वह सबसे कम उम्र के विजेता बने हैं. लगभग 12 वर्षों बाद भारत दूसरी बार शतरंज की दुनिया का सिरमौर बना है. 138 साल बाद यह दूसरा मौका था जब चेस चैंपियनशिप के लिए एशिया में ही मुकाबला हुआ. इसलिए खिताब के हासिल होने के बाद फिडे (इंटरनेशनल चेस फेडरेशन) के जोन प्रेसिडेंट संजय कपूर, जो कि ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के अध्यक्ष भी हैं, से डी. गुकेश के विश्व चैम्पियन बनने पर भारत एक्सप्रेस की एक्सक्लूसिव बातचीत…

प्रश्न :- डी. गुकेश की जीत से भारत की वैश्विक शतरंज में स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :- यह देश के लिए गौरव का पल है. बात यदि वैश्विक शतरंज की करें तो यह तय है कि विश्व के देशों का शतरंज को लेकर भारत के प्रति नजरिया बदलेगा.

प्रश्न :- यह जीत भारतीय शतरंज समुदाय और संघ के लिए क्या मायने रखती है?
उत्तर :- देखिए, कोई भी जीत उत्साह बढ़ाती है और सपने दिखाती है. भारतीय शतरंज समुदाय में निश्चित तौर पर कई युवा आगे आएंगे. संघ बड़ी जिम्मेदारी के साथ ऐसे युवाओं को निखारने का काम करता आया है और आगे भी करेगा.

प्रश्न :- भारतीय शतरंज संघ ने गुकेश जैसी प्रतिभाओं को निखारने में कैसे योगदान दिया है?
उत्तर :- डी. गुकेश सहित पांच शतरंज के खिलाड़ियों पर संघ ने खास जोर दिया. देश में शतरंज के सर्वश्रेष्ठ पांच खिलाड़ी चुने गए थे, जिनकी तैयारी के लिए ढाई करोड़ रुपए संघ द्वारा खर्च किए गए. डी. गुकेश के अलावा विदित, निहाल सहित अन्य खिलाड़ी भी विश्वस्तरीय हैं.

प्रश्न :- डी. गुकेश के विश्व चैम्पियन बनने की यात्रा में संघ की भूमिका पर कुछ प्रकाश डालें.
उत्तर :- जैसा मैंने आपको बताया कि देश के सर्वश्रेष्ठ पांच शतरंज खिलाड़ियों पर संघ ने कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्हें सर्वश्रेष्ठ कोच उपलब्ध कराए गए थे. संघ द्वारा वे सारी कोशिशें की गईं थीं, जिससे इन पांच बच्चों में से कोई भी विश्व चैंपियन बन सके.

प्रश्न :- गुकेश के प्रशिक्षण से क्या सबक सीखे जा सकते हैं जो अन्य उभरते खिलाड़ियों पर लागू किए जा सकते हैं?
उत्तर :- यहां एक बात समझनी होगी कि गुकेश को शतरंज के अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर तैयार किया गया था. ऐसी कोई भी गुंजाइश नहीं छोड़ी गई थी कि उन्हें हार का सामना करना पड़े. शतरंज के खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए अपने पैमाने हैं. उसी के आधार पर भविष्य में भी अन्य खिलाड़ियों को तैयार किया जाएगा.

प्रश्न :- संघ इस सफलता को युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए कैसे उपयोग करेगा?
उत्तर :- निश्चित तौर पर इस उपलब्धि को पूरे देश में प्रोत्साहित करने का कार्य किया जाएगा, ताकि देश में और युवा शतरंज के प्रति प्रोत्साहित हो सकें. रही बात गुकेश की तो वह शतरंज के युवा खिलाड़ियों के लिए आदर्श बन चुके हैं. समय-समय पर संघ द्वारा उन्हें शतरंज के खिलाड़ियों के बीच लाया जाएगा.

प्रश्न :- क्या इस जीत के बाद शतरंज प्रशिक्षण के ढांचे में कोई नया बदलाव या पहल की योजना है?
उत्तर :- यहां हम बताना चाहेंगे कि शतरंज प्रशिक्षण के अपने पैरामीटर हैं. उन्हीं के मुताबिक प्रशिक्षण का कार्य खिलाड़ियों के बीच में चलता रहता है. जरूरत के मुताबिक बदलाव भी किए जाते हैं. अच्छे से अच्छे कोच आकर शतरंज के प्रशिक्षण को बेहतर करने का कार्य करते रहते हैं. भविष्य में भी इस तरह की कोशिशें जारी रहेंगी.

प्रश्न :- क्या अब शतरंज के लिए अधिक फंडिंग या प्रायोजन के अवसर मिलेंगे?
उत्तर :- पिछले समय में भी और वर्तमान में किसी भी तरह की फंड की कमी नहीं आने दी गई. भविष्य में भी किसी भी तरह से फंड की कमी नहीं आएगी. आप विश्वास रखिए कि फंड की कमी से कोई भी शतरंज की प्रतिभा दम नहीं तोड़ेगी.

प्रश्न :- हाल के वर्षों में भारतीय शतरंज प्रतिभाओं की बढ़ोतरी का क्या कारण है?
उत्तर :- मेरा एक सपना रहा है कि हर घर में शतरंज का कम से कम एक खिलाड़ी तो होना चाहिए. उसी क्रम में विश्वविद्यालय स्तर पर भी इस तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित कराई गई थीं. खासतौर से उत्तर भारत में इस तरह के आयोजन बढ़ाए गए हैं. निश्चित तौर पर उसी का परिणाम है कि आज भारत विश्व विजेता बना है.

प्रश्न :- वैश्विक स्तर पर भारतीय शतरंज की गति को बनाए रखने के लिए संघ क्या कदम उठा रहा है?
उत्तर :- विश्वनाथन आनंद के बाद लगभग 12 साल बाद भारत फिर से शतरंज में विश्व विजेता बना है. लेकिन इस बार भारत ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है, कि 18 साल की उम्र में भारत का युवा विश्व विजेता बना है. निश्चित तौर पर इतनी बड़ी उपलब्धि के बाद भारत में शतरंज युवाओं के बीच में और भी बढ़ेगा और लोकप्रिय होगा, जिससे भारत विश्व में अपनी उपलब्धि भविष्य में भी दर्ज करता रहेगा.

प्रश्न :- संघ ग्रामीण या पिछड़े क्षेत्रों में शतरंज को बढ़ावा देने के लिए क्या कर रहा है?
उत्तर :- जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया है, संघ की कोशिश है कि भारत के हर घर में कम से कम एक युवा शतरंज का खिलाड़ी बने. इसके लिए संघ लगातार प्रयासरत है. जिलों में अलग-अलग जो भी समितियां काम कर रही हैं, उन्हें प्रोत्साहित करने का कार्य संघ द्वारा किया जा रहा है.

प्रश्न :- गुकेश की जीत पर अंतरराष्ट्रीय शतरंज समुदाय से क्या प्रतिक्रिया मिली है?
उत्तर :- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत शतरंज में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस उपलब्धि के बाद तमाम सारी शुभकामनाएं आ रही हैं. देश और दुनिया में भारत के लिए गौरव का पल है.

प्रश्न :- क्या आपको लगता है कि इस जीत के बाद भारत को शतरंज में महाशक्ति के रूप में पहचाना जाएगा?
उत्तर :- क्या इसमें भी आपको अभी भी कोई संशय है? भारत शतरंज की दुनिया में शक्ति तो बन ही चुका है. जब हम विश्व विजेता बन चुके हैं और रिकॉर्ड बनाया है कि सबसे कम उम्र का भारतीय युवा दुनिया में नाम रोशन कर रहा है.

प्रश्न :- क्या भारत में बड़े अंतरराष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट आयोजित करने की कोई योजना है?
उत्तर :- संघ द्वारा भारत में वैसे भी शतरंज के ओलंपियाड आयोजित हुए हैं. इतनी बड़ी उपलब्धि के बाद निश्चित तौर पर अच्छे प्लान बनाए जाएंगे और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की प्लानिंग पर काम किया जाएगा.

प्रश्न :- संघ गुकेश को इस मील के पत्थर बनने के बाद उनके करियर में कैसे समर्थन देगा?
उत्तर :- गुकेश को जिस तरह की सहयोग की जरूरत होगी, संघ उसका समर्थन करता रहेगा. जैसा कि मैंने आपको अभी बताया, पांच शतरंज के खिलाड़ियों की तैयारी में संघ ने कोई कसर नहीं छोड़ी. ढाई करोड़ रुपए उनकी तैयारी पर खर्च किए गए जो कि अपने आप में एक मिसाल है.

प्रश्न :- उन युवा शतरंज खिलाड़ियों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे जो गुकेश की जीत से प्रेरित हैं?
उत्तर :- भारत में प्रतिभाएं बहुत हैं, जरूरत है उन्हें बाहर लाने की और मंच देने की. इस दिशा में संघ लगातार सक्रिय है और अपनी कोशिशें जारी रखेगा. इसी का परिणाम है कि गुकेश ने आज भारत को शतरंज में अंतरराष्ट्रीय पहचान दी. मेरी शतरंज के बाकी खिलाड़ियों से अपील है कि वे भी जी-जान से जुटें और कई गुकेश भविष्य में भारत में रिकॉर्ड बनाएं.

प्रश्न :- संघ इस ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न और सम्मान कैसे मनाने की योजना बना रहा है?
उत्तर :- फिलहाल तो शतरंज में अंतरराष्ट्रीय जीत और उपलब्धि पर हम सभी खुश हैं. जल्द ही संघ तय करेगा कि किस तरह से इस खुशी को सेलिब्रेट किया जाए. सेलिब्रेशन के कार्यक्रम फाइनल होते ही आपको बताया जाएगा.

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  • भारत एक्सप्रेस


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