एक रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया-पैसिफिक के निजी बाजारों में भारत, जापान और दक्षिण कोरिया निवेश के लिए प्रमुख आकर्षण बन गए हैं, जिसमें भारत सबसे आगे है. Coller Capital द्वारा किए गए विश्लेषण में 68% निवेशकों ने भारत में जोखिम-इनाम संतुलन को बेहतर बताया. Coller Capital के निवेश प्रमुख विलियम यी ने कहा कि भारत में निजी निवेश के लिए वैश्विक और घरेलू निवेशकों की रुचि तेजी से बढ़ रही है. इसके अलावा, भारतीय सार्वजनिक बाजार शुरुआती चरण में कंपनियों को लिक्विडिटी देने में सक्षम हैं, जो अन्य एशियाई बाजारों से इसे अलग करता है.
लंदन स्थित Pantheon Ventures और अमेरिकी HarbourVest Partners जैसे फर्मों ने भी भारत में अपने निवेश बढ़ाने की योजना बनाई है. इन फर्मों ने ChrysCapital और Kedaara Capital जैसी भारतीय PE कंपनियों का समर्थन किया है.
सेकेंडरी निवेश का बढ़ता चलन
भारत में अनुभवी निवेश प्रबंधकों द्वारा नए वेंचर कैपिटल और निजी इक्विटी फर्म शुरू करने का चलन बढ़ रहा है. जैसे, Orios Ventures के पूर्व साझेदारों ने BlueGreen Ventures शुरू किया, और Peak XV के पूर्व निदेशक पियूष गुप्ता ने Kenro Capital की शुरुआत की, जो देश में सेकेंडरी निवेश पर ध्यान केंद्रित करेगा.
निवेश के अवसर और चुनौतियां
हालांकि, निवेशक प्रतिभा की कमी, सौदों में प्रतिस्पर्धा और भारत में चुनौतीपूर्ण एग्जिट वातावरण जैसी समस्याओं से भी सतर्क हैं. इसके समाधान के रूप में, कंपनियों को शुरुआती चरण में सार्वजनिक बाजारों में जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. उदाहरण के लिए, Unicommerce ने इस साल एक ऑफर-फॉर-सेल के माध्यम से अपने शुरुआती निवेशकों को एग्जिट का मौका दिया.
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटलाइजेशन में रुचि
निवेशकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में मूल्य निर्माण के लिए मुख्य क्षेत्र डिजिटलाइजेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होंगे. Coller Capital की रिपोर्ट में बताया गया कि 90% निवेशक निजी इक्विटी में और 89% सेकेंडरी में अपने निवेश को बनाए रखने या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. Coller Capital के संस्थापक जेरमी कोलर के अनुसार, सेकेंडरी निवेश ने भारत में हाल ही में तेजी पकड़ी है और यह निवेशकों और प्रबंधकों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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