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Delhi High Court ने सीएजी रिपोर्ट पर विशेष सत्र बुलाने की मांग पर सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने विपक्षी नेताओं की याचिका पर दिल्ली सरकार और विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है. याचिका में 14 सीएजी रिपोर्ट्स को पटल पर रखने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई है.

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दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता सहित अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली सरकार, विधानसभा अध्यक्ष और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि सभी 14 रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी गई है. बीजेपी नेताओं की ओर से दायर याचिका में 14 सीएजी रिपोर्ट्स को पटल पर रखने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने के निर्देश देने की मांग की गई हैं.

सुनवाई के दौरान विजेंद्र गुप्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि सदन के सदस्य के रूप में रिपोर्ट प्राप्त करना और उन पर बहस करना उनका अधिकार है. ऐसे में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार ने कोर्ट में आगे कहा कि यह याचिका पूरी तरह से राजनीति से प्रभावित है. कोर्ट के अंदर राजनीति करने की कोशिश की जा रही है. दिल्ली सरकार ने कहा कि वह मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे.

कोर्ट 8 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. जबकि याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि अगर चुनाव की तारीख की घोषणा हो गई, तो सदन की कार्यवाही नहीं की जा सकेगी, यह कोई राजनीति से जुड़ा मुद्दा नहीं है, सरकार की जवाबदेही तय करने का मामला है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हम स्पीकर को सेशन बुलाने के लिए अभी आदेश नहीं जारी कर सकते है, इसके लिए दोनों पक्षों को सुनना होगा.

दाखिल याचिका में दिल्ली सरकार को शराब शुल्क, प्रदूषण और वित्त संबंधी कैग की 12 रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेजने के निर्देश देने की मांग की गई थी, ताकि रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा जा सके. याचिका में दावा किया गया था कि 2017-2018 से 2021-2022 तक कि कैग रिपोर्ट मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबित है. उपराज्यपाल के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद दस्तावेज विधानसभा में पेश करने के लिए उनके पास नहीं भेजे गए है, आतिशी के पास वित्त विभाग भी है.

वकीलों नीरज और सत्य रंजन स्वैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि पूर्व में भाजपा विधायकों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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याचिका में कहा गया था कि हम जानकारी को जानबूझकर दबाना न केवल लोकतांत्रिक सिद्धांतो का उल्लंघन है बल्कि सरकारी कार्रवाई और व्यय की उचित जांच को भी रोकता है, जिससे सरकार के वित्तीय स्वामित्व, पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते है. इस साल 30 अगस्त को याचिकाकर्ता विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्रपति को कम्युनिकेशन भेजकर उनसे रिपोर्टों के दमन पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध किया था, यह कहते हुए कि सीएजी संवैधानिक तंत्र का उल्लंघन कर रहा है.

-भारत एक्सप्रेस



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