प्रतीकात्मक चित्र- AI जनरेटेड
Indian MSME growth: भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने हाल के वर्षों में निर्यात के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति की है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में ₹3.95 लाख करोड़ का निर्यात करने वाले इस क्षेत्र ने 2024-25 तक इसे बढ़ाकर ₹12.39 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया है. यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका को सशक्त बनाने में MSMEs की अहमियत को दर्शाती है.
तेजी से बढ़ रही MSMEs की संख्या
2024-25 में निर्यात करने वाले MSMEs की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. जहां 2020-21 में यह संख्या 52,849 थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 1,73,350 हो गई. यह स्पष्ट करता है कि MSMEs ने न केवल निर्यात के मूल्य में बल्कि निर्यातकों की संख्या में भी बड़ी वृद्धि की है.
2023-24 में MSMEs ने भारत के कुल निर्यात में 45.73% का योगदान दिया. यह आंकड़ा मई 2024 तक बढ़कर 45.79% हो गया. यह इस क्षेत्र की निरंतर प्रगति और भारत के व्यापार प्रदर्शन पर बढ़ते प्रभाव को दिखाता है.
देश की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान
MSME क्षेत्र ने अपनी मजबूती और बदलते हालात के साथ खुद को ढालने की क्षमता साबित की है. यह क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में भारत की जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. 2017-18 में MSMEs का भारत की जीडीपी में सकल मूल्य वर्धन (GVA) 29.7% था, जो 2022-23 में बढ़कर 30.1% हो गया.
2020-21 से 2021-22 के बीच, 714 सूक्ष्म उद्यम मध्यम श्रेणी में और 3,701 लघु उद्यम मध्यम श्रेणी में अपग्रेड हुए. यह संख्या 2023-24 से 2024-25 के दौरान और अधिक बढ़ी. इस अवधि में 2,372 सूक्ष्म उद्यम और 17,745 लघु उद्यम मध्यम श्रेणी में परिवर्तित हुए. यह MSME क्षेत्र की मजबूत प्रगति और गतिशीलता को दर्शाता है.
-भारत एक्सप्रेस
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