भारत 2026 में कॉमनवेल्थ देशों की संसदों के स्पीकर और प्रेसाइडिंग ऑफिसर्स (पीठासीन अधिकारियों) के 28वें सम्मेलन (CSPOC) की मेजबानी करेगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ग्वेर्नसे (Guernsey) में आयोजित CSPOC की स्थायी समिति की बैठक में इस बात की जानकारी दी. इस सम्मेलन का मुख्य विषय होगा – संसदीय प्रक्रियाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सोशल मीडिया का उपयोग.
ओम बिरला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “आज ग्वेर्नसे में कॉमनवेल्थ देशों के स्पीकर और प्रेसाइडिंग ऑफिसर्स के सम्मेलन की स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान भारत के कृषि, फिनटेक और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में हुए बदलावों को प्रस्तुत किया. ये परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी और सशक्त नेतृत्व का परिणाम हैं.”
Chaired the meeting of the Standing Committee of the Conference of Speakers and Presiding Officers of the Commonwealth(CSPOC) in Guernsey today. Took the opportunity to present how India has transformed in various fields – from agriculture to fintech and infrastructure – under… pic.twitter.com/SdDJ8DA0iJ
— Om Birla (@ombirlakota) January 10, 2025
उन्होंने बताया कि 2026 में भारत में होने वाले इस सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया के संसदों में उपयोग पर चर्चा की जाएगी.
भारत की प्रगति पर प्रकाश
बैठक में ओम बिरला ने भारत की आर्थिक प्रगति और तकनीकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि कैसे भारत ने कृषि, फिनटेक, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में अपनी भूमिका को मजबूत किया है.
बिरला ने सभी देशों के प्रतिनिधियों को 2026 में भारत आने का निमंत्रण दिया. उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भारत की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक विकास के मेल को प्रदर्शित करेगा.
ओम बिरला ने अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी वैश्विक चुनौतियों पर संसदों की भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने समावेशी और पारदर्शी संसदीय प्रक्रियाओं की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि संसदों को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और समावेशी बनाना जरूरी है, ताकि सुशासन और सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके.
“वसुधैव कुटुंबकम” का संदेश
बिरला ने “वसुधैव कुटुंबकम” का उल्लेख करते हुए गरीबी, असमानता और कुपोषण जैसे मुद्दों पर सहयोग का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि संसदों को नीतियां बनाने और संसाधनों के आवंटन में अहम भूमिका निभानी चाहिए, ताकि टिकाऊ विकास और सुशासन सुनिश्चित हो सके.
बिरला ने बताया कि भारत पहले भी 1970-71, 1986 और 2010 में इस सम्मेलन की मेजबानी कर चुका है. उन्होंने सभी कॉमनवेल्थ देशों के स्पीकर और प्रेसाइडिंग ऑफिसर्स को 2026 में नई दिल्ली में होने वाले इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि CSPOC मंच सभी सदस्य देशों के लिए संसदीय प्रक्रियाओं और अनुभवों को साझा करने का एक अनमोल अवसर है. इससे संसदीय सहयोग को मजबूत करने और एक न्यायपूर्ण और समान भविष्य की ओर काम करने में मदद मिलेगी.
AI तकनीक पर जोर
पिछले साल लोकसभा ने संसद की कार्यवाही को अधिक सुलभ बनाने के लिए AI और मशीन लर्निंग तकनीकों को अपनाया था. इन तकनीकों का उपयोग क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद और संसदीय दस्तावेज़ों को विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिए किया गया है.
स्थायी समिति की बैठक में 2026 के CSPOC का एजेंडा तय किया गया और संसदों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई. बिरला ने भारत की समावेशिता और परंपराओं को दर्शाने का वादा करते हुए इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने की उम्मीद जताई.
-भारत एक्सप्रेस
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