महाकुंभ 2025 से पहले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने एक बड़ा फैसला लिया है. 13 वर्षीय नाबालिग राखी सिंह धाकरे और उनके गुरु महंत कौशल किशोर को अखाड़े से बाहर कर दिया गया है. नाबालिग को नियमों के खिलाफ शिष्या बनाने के बाद यह निर्णय लिया गया. आमसभा की बैठक में लड़की को माता-पिता के पास वापस भेजने और गुरु को मेला क्षेत्र छोड़ने का आदेश दिया गया.
22 साल से कम उम्र की महिलाओं को नहीं मिलेगी दीक्षा
बैठक में यह भी तय हुआ कि अब 22 साल से कम उम्र की महिलाओं को संन्यास की दीक्षा नहीं दी जाएगी. महंत कौशल किशोर ने हाल ही में आगरा के व्यापारी संदीप सिंह और उनकी पत्नी रीमा की बेटी राखी सिंह को साध्वी के रूप में दीक्षा दी थी. दीक्षा के बाद उनका नाम बदलकर गौरी गिरि रखा गया. दीक्षा के बाद एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें गौरी गिरि ने कहा कि वह आईएएस बनना चाहती थी, लेकिन उसे अखाड़े में शामिल कर दिया गया.
पंचायत में लिया गया फैसला
वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला चर्चा में आया. पुलिस ने भी इस पर हस्तक्षेप किया. शुक्रवार को अखाड़ा थाने में पंचायत हुई, जिसमें संतों ने कहा कि गौरी गिरि को अखाड़े में शामिल नहीं किया गया था. इसके बाद जूना अखाड़े की मेला छावनी में एक और पंचायत हुई. इसमें संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि और प्रवक्ता नारायण गिरि ने फैसला किया कि महंत कौशल किशोर और गौरी गिरि को तुरंत अखाड़े से बाहर किया जाएगा.
नाबालिग को शिष्य बनाना परंपरा के खिलाफ
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि अखाड़े की परंपरा के अनुसार किसी नाबालिग को शिष्य नहीं बनाया जा सकता. केवल बालिग होने पर ही किसी को दीक्षा दी जाती है. 13 वर्षीय राखी को शिष्या बनाकर महंत कौशल किशोर ने अखाड़े की परंपरा तोड़ी.
इस घटना के बाद महासभा ने सर्वसम्मति से महंत कौशल किशोर को 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया है. अब वह 7 साल तक जूना अखाड़े में प्रवेश नहीं कर पाएंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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