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15 मार्च से शुरू हुआ खरमास, इन कामों को करने से मिलता है अशुभ परिणाम, करना चाहिए ये काम

Kharmas 2023: ज्योतिष के अनुसार आत्मा का कारक माने जाने वाले सूर्य ग्रह और धर्म का कारक माने जाने वाले गुरु ग्रह के मिलन का समय माना जाता है.

Surya-Dev

सूर्य देव

Kharmas 2023: हिंदू धर्म में खरमास का महीना मंगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता. एक साल के दौरान दो बार खरमास पड़ता है. एक मकर संक्रांति के पहले और एक चैत्र नवरात्रि या चैत्र माह की शुरुआत के पहले. ऐसे में चैत्र माह के पहले पड़ने वाले खरमास का आरंभ हो चुका है.

ग्रह नक्षत्रों के हिसाब से देखा जाए तो सूर्य के राशि परिवर्तन के कारण ऐसा होता है. धनु या मीन दोनों में से किसी भी राशि में सूर्य देव के गोचर करते ही खरमास का आरंभ हो जाता है. इस बार सूर्य मीन राशि में गोचर कर रहे हैं.

इस कारण खरमास में नहीं होता कोई भी शुभ काम

खरमास के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ काम करने की मनाही रहती है. ज्योतिष के अनुसार आत्मा का कारक माने जाने वाले सूर्य ग्रह और धर्म का कारक माने जाने वाले गुरु ग्रह के मिलन का समय माना जाता है. इस काल में सूर्य और गुरु के एक साथ होने के ( सूर्य गुरु की राशि में) कारण ईश्वर का ध्यान, तप, और यज्ञ आदि जैसे कर्मों को करना अत्यंत ही शुभ फलदायी माना जाता है. यह समय धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत ही शुभ माना गया है.

खरमास में इन कार्यों को करने से बचना चाहिए

शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को खरमास में न करने के पीछे मुख्य रूप से यह कारण माना जाता है कि इस दौरान होने वाली शादियों में नई जिंदगी शुरु करने जा रहे युगल को ग्रहों का शुभ फल नहीं मिल पाता है.

खरमास में विवाह के अलावा गृह प्रवेश, जनेऊ और मुंडन के साथ ही सगाई जैसे कार्यों को करने पर भी मनाही रहती है. वहीं इस दौरान नए घर का निर्माण या लेने के बारे में भी विचार नहीं करना चाहिए. खरमास में नया वाहन भी नहीं खरीदना चाहिए.इससे नुकसान होने की आशंका रहती है. खरमास में जहां तक हो सकते सात्विक भोजन करना चाहिए वहीं तामसिक भोजन से दूरी बनाकर रखना चाहिए.

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खरमास में इन कामों को करने से मिलेगा लाभ

ग्रहों के रूप में आत्मा और परमात्मा के मिलन के कारण इस दौरान धार्मिक कार्यों को करना शुभ फलदायी रहता है. इसलिए इस दौरान पूजा पाठ, हवन आदि अधिक करना चाहिए. वहीं भगवान विष्णु की आराधना से भी विशेष लाभ मिलता है. ऐसे में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने का भी विधान है.



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