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UP News: गाजीपुर में बड़ी लापरवाही, पोस्टमार्टम हाउस में बदल दिया शव, भाई की जिद पर चिता जलाने से पहले मामला खुलने पर मचा कोहराम

Ghazaipur News: परिजनों ने पोस्टमार्टम में ही मृतक का चेहरा देखने की बात कही थी लेकिन पुलिस ने चेहरा विभत्स हो गया है, कहकर चेहरा नहीं देखने दिया था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

UP News: उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही अक्सर सामने आती रहती है. ये कर्मचारी लोगों की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ करने लगेंगे, इसका अंदाजा कम ही था, लेकिन अब तो इनकी कार्यप्रणाली पर बिलकुल भी यकीन नहीं रहा. यूपी के गाजीपुर में इसका उदाहरण देखने को मिला है. बताया जा रहा है कि यहां पोस्टमार्टम हाउस में कर्मचारियों व पुलिस की लापरवाही में शव ही बदल दिया गया. परिजनों ने मृतक का चेहरा देखने की इच्छा जताई तो कहा गया है कि चेहरा वीभत्स हो गया है.

इस तरह खुला पूरा मामला

पोस्टमार्टम हाउस से परिजन शव लेकर घर पहुंचे और वहां से अंतिम संस्कार के लिए गाजीपुर में स्थित श्मशान घाट में देखने को मिला. जहां पुलिस विभाग की लापरवाही के परिजनों को किसी और शव दे दिया गया. जंगीपुर थाना के सआदतपुर गांव के रहने वाले रविंद्र यादव की मौत 1 दिन पहले सड़क दुर्घटना में हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने उसका शव पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया, लेकिन वहां से किसी और के शव को परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया. परिजनों ने उसके अंतिम संस्कार की सारी रस्में भी निभाई, जैसे ही परिजन चिता को आग लगाने जा रहे थे, कि तभी वीडियो कॉल पर भाई ने जिद कर दी कि वह चेहरा देखेगा. इस पर जैसे ही शव के चेहरे से कपड़ा हटाया गया तो कोहराम मच गया. लोगों को पता चला कि उनको रविंद्र यादव की जगह किसी और का शव थमा दिया गया है.

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बता दें कि मृतक का भाई विदेश में नौकरी करता है. उसके जैसे ही चेहरा देखा कहा ये तो मेरा भाई नहीं है. इसके बाद परिवार के अन्य लोगों व गांव वालों ने मृतक का चेहरा देखा तो पता चला कि किसी और का शव है. इसके बाद श्मशान घाट पर कोहराम मच गया.

इसकी जानकारी स्थानीय थाने में दी तो थानेदार भी तत्काल मौके पर पहुंच गए. जिसके बाद परिजनों को पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया, मृतक रविंद्र के शव की खोजबीन शुरू हुई. तब जाकर पता चला कि उसका तो पोस्टमार्टम हुआ ही नहीं है. जिसके बाद पुलिस परिजनों की देखरेख में शव का पोस्टमार्टम कराया.

इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो तो मीटिंग में थे, उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

जानें क्या होती है प्रक्रिया

बता दें कि पुलिस के द्वारा पोस्टमार्टम के लिए जब शव को भेजा जाता है तो थाने से ड्यूटी पर पुलिस कांस्टेबल और होमगार्ड भी लगाए जाते हैं. इन सबकी देखरेख में पोस्टमार्टम होता है और शव को उसी परिजनों को सौंपा जाता है, जिसके घर का वह मृतक होता है. क्योंकि यह लोगों की भावनाओं से जुड़ा मामला होता है तो इसमें खासा एहतियात बरती जाती है ताकि शव बदल न जाए, लेकिन मगंलवार दोपहर रविंद्र यादव के परिजनों को उनका शव देने के बजाए किसी और का शव सौंप दिया गया.

-भारत एक्सप्रेस



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