प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन
भारत और अमेरिका 4-5 जून को दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर पहली बैठक आयोजित करेंगे. अमेरिका और भारत के बीच इस बैठक में कई बड़े व्यापारिक समझौतों की तरफ कदम बढ़ाया जाएगा, इसमें निर्यात नियंत्रण को सुव्यवस्थित करके, उच्च-तकनीकी वाणिज्य को बढ़ाकर महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) पर पहल के परिणामों को लागू किया जाएगा. दोनों देशों के बीच तकनीकी हस्तांतरण को लेकर भी वार्ता होगी.
इससे पहले दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच पहली आईसीईटी पर वार्ता 31 जनवरी को हुई थी और आगे भी सामरिक व्यापार बैठक आयोजित करने का निर्णय तब लिया गया जब अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो 10 मार्च को द्विपक्षीय वाणिज्यिक वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए भारत आईं.
पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा
भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा मीटिंग के लिए कॉमर्स फॉर इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी के अंडर सेक्रेट्री एलन एस्टेवेज़ से मुलाकात करेंगे. इसके साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी की 22 जून की यात्रा के लिए अंतिम-मिनट की तैयारी करने के लिए अगले महीने की शुरुआत में अमेरिका की यात्रा करेंगे. बता दें कि जून में पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से मिलने के लिए व्हाइट हाउस जाने वाले हैं.
पीएम मोदी के जापान में 19-21 मई को जी-7 बैठक के दौरान राष्ट्रपति बिडेन से मिलने की उम्मीद है. फिर 24 मई को क्वैड शिखर सम्मेलन के दौरान और दोनों नेता 22 मई को पापुआ न्यू गिनी में पोर्ट मोरेस्बी में एक-दूसरे से मुलाकात कर सकते हैं जोकि सुदूर प्रशांत देशों के महत्वपूर्ण जुड़ाव का हिस्सा है. जहाँ अमेरिका के सोलोमन द्वीप समूह में चीनी सुरक्षा के बढ़ते पदचिह्न का मुकाबला करने के लिए PNG के साथ रक्षा सहयोग खोलने की उम्मीद है, वहीं पीएम मोदी सुदूर देशों के साथ भारत के व्यापक जुड़ाव के हिस्से के रूप में द्वीप राष्ट्र को $100 मिलियन की क्रेडिट लाइन प्रदान करेंगे.
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वाशिंगटन और नई दिल्ली
वाशिंगटन और नई दिल्ली में स्थित राजनयिकों के अनुसार, पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिका से उम्मीद की जाती है कि वह तेजस मार्क II के लिए भारत में संयुक्त रूप से F-414 जेट इंजन का उत्पादन करने के लिए जनरल इलेक्ट्रिक के आवेदन को मंजूरी दे देगा. अमेरिकी रक्षा प्रमुख जीई भी एफ-414 इंजनों के निर्माण को भारत में स्थानांतरित करने के लिए यूरोपीय संघ में अपने सहायक भागीदारों से बात कर रही है. एलएसी पर चीनी सशस्त्र ड्रोन खतरे का मुकाबला करने के लिए अमेरिका भारत को सशस्त्र ड्रोन की आपूर्ति करने के लिए भी तैयार है.
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