महाराष्ट्र की सियासी जंग
महाराष्ट्र की राजनीति में दिलचस्प मोड़ देखने को मिल रहे हैं। शिवसेना के बाद एनसीपी की बगावत और अब सरकार के भीतर ही उठापटक की खबरों ने लगातार महाराष्ट्र को खबरों में सबसे ऊपर रखा है। एक दिलचस्प वाकये ने, एक बार फिर कौन है महाराष्ट्र का असली मुख्यमंत्री, पर बहस छेड़ दी है। दरअसल मुंबई के नरीमन प्वाइंट इलाके में आज मनोरा विधायक निवास का भूमि पूजन हुआ। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और दोनों उपमुख्यमंत्री मौजूद रहे यानी देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार भी। हालांकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे किसी वजह से शामिल नहीं हो पाए। उनका शामिल ना होना कुछ निजी कारण से भी हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद एकनाथ शिंदे को लेकर चर्चाओं का बाजार थमने का नाम नहीं ले रहा है।
अजित पवार पहले ही कह चुके हैं कि वह उपमुख्यमंत्री बन बन कर थक गए हैं
राहुल नार्वेकर ने अजित पवार से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने को क्या कहा पूरा मामला और माहौल ही अजब गजब हो गया। मीडिया की खबरों में इस वाकए का बहुत जिक्र हो रहा है। एकनाथ शिंदे की कुर्सी पर लगा मुख्यमंत्री का स्टीकर हटाकर राहुल नार्वेकर ने अजीत पवार को यहां पर बैठने के लिए कहा। वैसे यह इतनी महत्वपूर्ण घटना नहीं कि सत्ता परिवर्तन के बारे में कोई इशारा दे, लेकिन यह छोटी सी घटना उस बड़ी बहस की तरफ भी इशारा करती है जो महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में लगातार गर्मा रही है। अजित पवार पहले ही कह चुके हैं कि वह उपमुख्यमंत्री बन बन कर थक गए हैं। वह पहले भी कह चुके हैं कौन मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता, मैं भी मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं। खैर यह सारी बातें उनके उपमुख्यमंत्री बनने से पहले की हैं।
महाराष्ट्र के पांचवी बार उप मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं
गौर करने वाली बात यह है कि वह महाराष्ट्र के पांचवी बार उप मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं। इसी सरकार के दौरान तीन बार उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। चाहे देवेंद्र फडणवीस की 80 घंटे की सरकार हो, उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी की सरकार हो या अब बीजेपी के समर्थन से चलने वाली शिवसेना के बागियों वाली एकनाथ शिंदे की सरकार हो। हालांकि शिवसेना अब एकनाथ शिंदे को मिल चुकी है लेकिन इसके बावजूद जमीन पर उनकी चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अजित पवार बहुत तेजी से मुख्यमंत्री की कुर्सी की तरफ बढ़ रहे हैं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि इस पर देवेंद्र फडणवीस भी स्पष्टीकरण दे चुके हैं कि एकनाथ शिंदे ही हमारे मुख्यमंत्री हैं लेकिन यह बात सभी जानते हैं की एकनाथ शिंदे को चेहरा बनाकर बीजेपी शायद ही आगामी चुनाव में उतरना चाहे। एनसीपी की इतनी बड़ी बगावत के बाद शरद पवार से अजीत पवार की मुलाकातों ने भी कई सवाल खड़े किए हैं।
सबसे अहम बात यह है कि यदि अजित पवार मुख्यमंत्री की कुर्सी ले लेते हैं तो शायद वह शरद पवार को भी मनाने में कामयाब हों। शरद पवार विपक्षी एकजुटता के मंच पर दिखाई देते हैं। मीडिया के सामने और सार्वजनिक मंचों पर तो अजित पवार से उनकी नाराजगी भी बहुत स्पष्ट तौर पर सामने है। अंदर खाने हकीकत क्या है यह कहना मुश्किल है क्योंकि हैं तो अजित पवार शरद पवार के भतीजे ही और राजनीतिक विरासत की लड़ाई भी एनसीपी में कोई नई नहीं है। छगन भुजबल शरद पवार के चरणों में लेट कर कह चुके हैं कि हमारे भगवान हैं। प्रफुल्ल पटेल भी यही बात कहते हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री का पद एक ऐसी भेंट हो सकती है जो एनसीपी की शक्ति को बढ़ा सकती है। एकनाथ शिंदे को शिवसेना इसलिए मिल पाई क्योंकि शिवसेना के ज्यादातर विधायकों सांसदों और पदाधिकारियों को वह अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहे थे।
एनसीपी में असली कौन है, नकली कौन है ?
इसकी बड़ी वजह यह रही कि वह सत्ता में थे, सत्ता का चेहरा थे और अब भी हैं, लेकिन यही चुनौतियां एनसीपी के सामने है। एनसीपी में असली कौन है, नकली कौन है इसका फैसला होना अभी बाकी है। यदि अजित पवार को मजबूत करना है तो उनके चेहरे को सरकार में और मजबूत करना होगा। लिहाजा इन अटकलों को यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता कि अजित पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उनके अपने समर्थक तो ट्विटर पर भी इस बात को लिख चुके हैं। उद्धव ठाकरे गुट यह बात बार-बार कहता रहा है। फिर भी देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे इस पर अपने स्पष्टीकरण देते रहे। आने वाले दिनों में बहुत सारे फैसले होने हैं जैसे कि एनसीपी का असली मालिक कौन लेकिन इन सबके बीच में इस बात का भी इंतजार रहेगा कि क्या महाराष्ट्र को इसी सरकार के दौरान एक और मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है? मुख्यमंत्री बन बन कर थक चुके अजित पवार क्या अब अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने जा रहे हैं? वैसे भी ये उनका बहुत पुराना सपना है।
-भारत एक्सप्रेस