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एनसीएलटी ने जिमखाना को दी अवमानना कार्रवाई की चेतावनी

दरअसल क्लब संविधान के अनुसार किसी भी निर्णय के लिए आयोजित बैठक में छह निदेशकों की मौजूदगी अनिवार्य है. जबकि क्लब के नियुक्त छह निदेशकों में से एक ने जुलाई में ही इस्तीफ़ा दे दिया था. ऐसे में क्लब निदेशक कोई भी निर्णय नहीं ले सकते थे.

जिमखाना क्लब संचालन के लिए नियुक्त सरकारी निदेशक ही केंद्र सरकार की मुसीबत बढ़ा रहे हैं. आरोप है कि वह वित्त मंत्री से अनुमोदित आदेशों तक का पालन नहीं कर रहे हैं. यह आरोप भी किसी और ने नहीं बल्कि कंपनी कार्य मंत्रालय ने लगाया है. जिसके बाद एनसीएलटी ने क्लब को फटकार लगाते हुए अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी देते हुए उसे नोटिस जारी कर दिया है. आरोप यह भी है कि हाल ही नियुक्त तीन सदस्यों को भी इन तथ्यों से अनभिज्ञ रखने की कोशिश की गई.

क्या है मामला 

दरअसल जिमखाना क्लब प्रबंधन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद बीते साल यहां सरकारी प्रशासक की नियुक्ति हुई थी. लेकिन अपने कामकाज के कारण वह खुद ही आरोपों का शिकार बन गए. यही वजह रही कि एनसीएलटी के पूर्व रजिस्ट्रार आर के मीणा ने सितंबर 2021 में तत्कालीन क्लब प्रशासक ओम पाठक के खिलाफ एनसीएलटी में शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके जवाब में क्लब ने ट्रिब्यूनल को आश्वस्त किया था कि वह अपने स्तर पर मीणा की शिकायतों का निपटारा कर देगा. तब 15 मार्च को ट्रिब्यूनल ने मामला निपटा दिया था. लेकिन क्लब ने इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया न ही इस संदर्भ में हुए पत्राचार का जवाब देना ही जरुरी समझा.

क्लब पर डाली जिम्मेदारी

जिसके जवाब में कंपनी कार्य मंत्रालय ने ट्रिब्यूनल को अवगत कराया कि यह आश्वासन क्लब के तत्कालीन प्रशासक की ओर से दिया गया था और इसे पूरा करने की जिम्मेदारी भी क्लब की ही है. लिहाजा इसके लिए क्लब जवाबदेह है. जिससे नाराज ट्रिब्यूनल ने क्लब को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है. साथ ही क्लब पर अवमानना की कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है.

क्लब पर लगाया आरोप

पूर्व रजिस्ट्रार मीणा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार द्वारा नियुक्त निदेशक मंडल ही सरकार की मदद करने वाले क्लब स्टाफ को तंग कर रहा है. जबकि 23 सितंबर 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त आदेश दिया था कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों के दस्तावेजों को सुरक्षित रखा जाए और सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढाई जाए. लेकिन इस आदेश का भी पालन नहीं किया गया.

नवनियुक्त निदेशकों को अँधेरे में रखा! 

03 अप्रैल 2022 को सरकार द्वारा नियुक्त निदेशकों पर यह भी आरोप लग रहा है कि उन्होंने एनसीएलटी में चल रहे मामले की जानकारी हाल ही में नियुक्त किए गए तीन वरिष्ठ निदेशकों को भी नहीं दी. जबकि उनकी नियुक्ति के बाद क्लब में जनरल कमेटी की तीन बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं.

नहीं की आम सभा 

क्लब सदस्यों की माने तो नियमों का पालन नहीं करने और भ्रष्टाचार में आरोपों की जाँच करने में विफल सरकारी निदेशकों ने अभी तक आम सभा की बैठक भी आयोजित नहीं की है. जबकि सालना यह बैठक हर साल 30 सितंबर तक आयोजित हो जानी चाहिए. क्लब सदस्यों का आरोप है कि खुद की कार्यशैली पर उठने वाले सवालों से बचने के लिए सरकारी निदेशकों ने जानबूझकर आम सभा की बैठक नहीं बुलाई. सनद रहे कि बीते साल दिसंबर में हुई आमसभा की बैठक में 14 करोड़ का नुक्सान दिखाया गया था. जिससे नाराज आम सभा ने रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया था.

खास लॉ फार्म पर मेहरबानी

क्लब सूत्रों की मानें तो 03 अप्रैल में हुई छह निदेशकों की नियुक्ति के बाद उसी रात कार्यभार संभालने के साथ ही दो सदस्यों मलय सिन्हा और आशीष वर्मा ने खुद को क्लब का अध्यक्ष और सचिव घोषित कर दिया. इतना ही नहीं उसी रात इन्होंने अपने करीबी अधिवक्ता की लॉ फर्म को भी क्लब के मुक़दमे लड़ने के लिए नियुक्त कर दिया. आरोप है कि इस फर्म को हर पेशी के लिए दो से तीन लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या ख़ास लॉ फार्म को नियुक्त करने की योजना पहले ही बन चुकी थी.

अवैध नियुक्ति का मामला

क्लब निदेशकों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने 26 अगस्त को अवैध तरीके से क्लब में सचिव की नियुक्ति कर दी. इस व्यक्ति के आवेदनों को पूर्व में तीन बार खारिज किया जा चुका था. दरअसल क्लब संविधान के अनुसार किसी भी निर्णय के लिए आयोजित बैठक में छह निदेशकों की मौजूदगी अनिवार्य है. जबकि क्लब के नियुक्त छह निदेशकों में से एक ने जुलाई में ही इस्तीफ़ा दे दिया था. ऐसे में क्लब निदेशक कोई भी निर्णय नहीं ले सकते थे. मगर उन्होंने नियमों की जरा भी परवाह नहीं की और मंत्रालय को भी इस मामले में अंधेरे में रखा.

वित्त मंत्री के आदेशों की अवहेलना!

20 सितंबर 2022 को कंपनी कार्य मंत्रालय ने क्लब को भेजे एक आदेश में क्लब सचिव के पद पर राजीव होरा की नियुक्ति को अवैध करार दिया था. जिसमे कहा गया कि नियुक्ति के लिए तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. यह आदेश केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से स्वीकृति लेकर जारी किया गया था. इसमें यह भी कहा गया था कि पांच सदस्यीय निदेशक मंडल द्वारा लिए गए हर आदेश की फिर से समीक्षा की जाएगी.

दस्तावेज नष्ट कराए

आरोप है कि क्लब में अवैध तरीके से नियुक्त किए गए सचिव राजीव होरा ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद दीपावली के आसपास क्लब दस्तावेज नष्ट करा दिए. जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा हुई थी तो होरा ने अन्य आदेश जारी कर क्लब कर्मचारियों द्वारा ड्यूटी के समय फ़ोन के प्रयोग पर ही प्रतिबंध लगा दिया.

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