
Operation Sindoor: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया. इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोगों की जान चली गई, जबकि 17 अन्य घायल हुए. आतंकियों ने पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान पूछकर निशाना बनाया, जिससे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई.
भारत ने इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), पर डाली. इस बर्बर घटना के जवाब में भारत ने 6-7 मई 2025 की आधी रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) शुरू किया, जिसने आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को एक बार फिर दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया. विपक्षी पार्टियों समेत पूरे विश्व की निगाहें भारतीय सरकार पर थीं कि वो इस आतंकी हमले का कब और क्या जवाब देंगे?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना का एक संयुक्त अभियान था, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की देखरेख में अंजाम दिया गया. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए. ये हमले बहावलपुर, कोटली, मुजफ्फराबाद, मुरिदके और कराची जैसे क्षेत्रों में किए गए, जहां जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के ठिकाने थे. भारतीय सेना ने 24 मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिसमें ब्रह्मोस और स्कैल्प मिसाइलें शामिल थीं, और करीब 70 से 100 आतंकियों को मार गिराया गया.
पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को नहीं बनाया निशाना
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह से आतंकी ढांचों को नष्ट करने के उद्देश्य से था, और इसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया. भारत ने लक्ष्य चयन और हमले के तरीकों में अत्यधिक संयम बरता, ताकि तनाव को बढ़ाने से बचा जा सके. बीते मंगलवार को यह हमला रात 1:44 बजे शुरू हुआ और भारतीय सुखोई-30 और राफेल फाइटर जेट ने प्रिसिजन स्ट्राइक वेपंस और लॉइटरिंग म्यूनिशन का इस्तेमाल किया.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) का नाम अपने आप में एक शक्तिशाली सांस्कृतिक और भावनात्मक संदेश देता है. पहलगाम हमले में कई नवविवाहित जोड़ों की जान गई, जिससे कई महिलाओं का सुहाग उजड़ गया. भारतीय संस्कृति में सिंदूर विवाहित महिलाओं के लिए पति की लंबी उम्र और सौभाग्य का प्रतीक है. इस हमले ने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि कई परिवारों को भावनात्मक रूप से तोड़ दिया. इसलिए, इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखकर भारत ने न केवल पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी, बल्कि यह भी संदेश दिया कि अब हर सुहाग को महफूज रखा जाएगा. इस नाम का सुझाव खुद पीएम मोदी ने दिया था, जो इस ऑपरेशन के प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाता है.
वहीं पाकिस्तान ने इस हमले को अपनी संप्रभुता पर हमला करार दिया और इसे “कायराना” बताया. पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान अपने चुने हुए समय और स्थान पर इसका जवाब देगा. पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि हमले में एक बच्चे की मौत हुई और दो लोग घायल हुए, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया.
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी इस हमले की निंदा की और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी. भारत सरकार ने सभी सीमावर्ती राज्यों में ‘मॉक ड्रिल’ की शुरुआत कर दी है. इससे आम जनता को आपात स्थिति के लिए तैयार किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारत ने अपनी कार्रवाई को जिम्मेदार और नियंत्रित बताया. भारत ने स्पष्ट किया कि यह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई थी, न कि पाकिस्तान के साथ युद्ध की शुरुआत.
भारत ने ऑपरेशन किया शुरू
उल्लेखनीय है कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने त्वरित कदम उठाए, जिसे पाकिस्तान ने “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया. केवल 15 दिनों में भारत ने खुफिया जानकारी एकत्र की और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) की रणनीति तैयार की. 6 मई की देर रात, जब पाकिस्तान सो रहा था, भारत ने ऑपरेशन शुरू किया. यह हमला इतना गोपनीय था कि केवल कुछ चुनिंदा लोगों को ही इसकी जानकारी थी. गौरतलब है कि जिस तरह अमरीका ने विदेशी धरती पर आतंकी ओसामा बिन लादेन का खात्मा एक सोची समझी रणनीति के तहत किया था, भारत ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को उसी ढंग से अंजाम दिया है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को देश भर में व्यापक समर्थन मिला. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस कार्रवाई की सराहना की. सोशल मीडिया पर ‘भारत माता की जय’ और ‘जय हिंद’ जैसे नारे ट्रेंड करने लगे. यह ऑपरेशन पहलगाम हमले का सटीक जवाब था, जिसने आतंकी नेटवर्क को करारा झटका दिया. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ प्रतिबद्धता और रणनीतिक ताकत का प्रतीक था.
इसने दुनिया को दिखाया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. यह ऑपरेशन उन मासूमों के खून का बदला था, जिन्होंने पहलगाम में अपनी जान गंवाई. साथ ही, यह एक चेतावनी भी थी कि भारत आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा. उम्मीद है कि जो भी राष्ट्र आतंकियों को पनाह देते हैं उन सभी के लिए यह ऑपरेशन एक कड़ा संदेश देगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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