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कैसिनो पर छापे के मामले में पुलिस मुख्यालय ने बैठाई जांच!

छापों के दौरान बरामद पैसों में हेरफेर के लिए बदनाम हो रही दिल्ली पुलिस की एक टीम ऐसे ही आरोप में फंस गई है. मामला उत्तर पूर्वी जिला के वाहन चोरी निरोधक दस्ते (AATS) से जुड़ा है. इस टीम ने जिले में चल रहे एक अवैध कैसिनो पर छापा मारा था. जहां से करीब लाख रुपए बरामद करने का दावा किया गया. आरोप है कि टीम ने मौके से पांच लाख रुपए नहीं, बल्कि करीब ढाई करोड़ रुपए पकडे थे.

Delhi Police

दिल्ली पुलिस ने कैसिनो पर मारा छापा (फाइल फोटो)

दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने उत्तर पूर्वी जिला में कैसिनो पर मारे गए छापे की जांच के आदेश दे दिए हैं ! आरोप है कि पुलिस ने मौके पर करीब ढाई करोड़ रुपए बरामद किए थे, लेकिन मुक़दमे में महज पांच लाख रुपए की ही बरामदगी दिखाई गई. चौंकाने वाली बात यह है कि संवैधानिक अनिवार्यता के बावजूद कार्रवाई के दौरान कोई सहायक पुलिस आयुक्त मौजूद नहीं था. इतना ही नहीं पुलिस की जिस यूनिट AATS ने यह कार्रवाई की है, उसका प्रभारी पुलिस इंस्पेक्टर नहीं सब इंस्पेक्टर है.

क्या है मामला

उत्तर पूर्वी जिला की AATS ने रविवार देर रात वज़ीराबाद रोड स्थित कैपिटल रेजीडेंसी की पांचवी मंजिल पर छापा मारकर अवैध कैसिनो पकड़ा था. मौके से पुलिस ने 41 आरोपियों को भी गिरफ्तार किया. ज्योति नगर थाने में दर्ज मुक़दमे के अनुसार पुलिस मौके से करीब पांच लाख रुपए की बरामदगी दिखाई है. सूत्रों के अनुसार यह कैसिनो ज्योति नगर पुलिस की मिलीभगत से चल रहा था. यही वजह रही कि छापे की सूचना के बाद मौके पर पहुंचे ज्योति नगर थानाध्यक्ष और AATS प्रभारी SI बलबीर के बीच नौंक-झौंक भी हो गई. मगर इस छापे के बाद आला अधिकारियों ने महज इलाके के बीट अधिकारी ASI योगेश कुमार को लाइन हाजिर करके कागजी कार्रवाई पूरी कर दी.

क्या है आरोप

सूत्रों का कहना है कि कैसिनो में पकडे गए लोग शालीमार बाग़, रोहिणी, करोल बाग, इंदिरापुरम, गाजियाबाद, आदर्श नगर, गांधीनगर, गीता कालोनी और शाहदरा आदि स्थानों से आए थे. AATS टीम ने इनके पास से करीब ढाई करोड़ रुपए बरामद किए. लेकिन दर्ज मुक़दमे में महज पांच लाख रुपए का ही हवाला दिया गया है. खास बात यह है कि छापे की कार्रवाई में शामिल एक हवलदार पिछले दिनों करीब 22 लाख रुपए की स्कोर्पियों गाड़ी भी खरीद कर लाया है.

उड़ाई नियमों की धज्जियां

नियम कहते हैं कि ऐसी कार्रवाई के दौरान उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग करना जरुरी है. इसके अलावा एक राजपत्रित अधिकारी भी मौके पर होना चाहिए. सूत्रों के अनुसार ना तो छापा मारने वाली टीम ने कार्रवाई की रिकॉर्डिंग ही की और ना छापे के दौरान कोई राजपत्रित अधिकारी मौजूद था. दर्ज मुक़दमे में जिस एसीपी गोकुलपुरी के नेतृत्व में कार्रवाई का दावा किया गया है, मगर हकीकत यह है कि उन्हें कार्रवाई के बाद इत्तला देकर बुलाया गया था. एसीपी की लोकेशन और आसपास के सीसीटीवी की फुटेज की जांच में यह बात साबित भी हो जाएगी. इस बारे में जब एसीपी गोकुलपुरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.

SI को बना रखा है प्रभारी

दिल्ली के हर पुलिस जिला में कार्यरत आपरेशन सेल के तहत आने वाले स्पेशल स्टाफ और AATS का प्रभारी किसी अनुभवी और तेज तर्रार पुलिस इंस्पेक्टर को नियुक्त किया जाता है. लेकिन आला अधिकारियों में रसूख की बदौलत उत्तर पूर्वी जिला AATS का प्रभारी एक सब इंस्पेक्टर को लगाया हुआ है.

पुलिस आयुक्त ने दिए जांच के आदेश!

छापे की कार्रवाई के अगले ही दिन पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने यह मामला पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के संज्ञान में डाल दिया. विभागीय सूत्रों के अनुसार उन्होंने विशेष पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) दीपेंद्र पाठक को मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं. जिसके बाद एसीपी गोकुलपुरी ने पुलिस मुख्यालय को यह जानकारी भी साझा कर दी है कि उन्हें छापे की कार्रवाई के बाद इसकी जानकारी दी गई थी. पुलिस प्रवक्ता डीसीपी सुमन नलवा कहती हैं कि जांच शुरू होने के बारे में विशेष पुलिस आयुक्त ही कुछ बता सकते हैं.

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