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दमन की आग में सुलगता रहा है सीरिया

आखिर क्यों सुलगा सीरिया? क्यों सीरिया के अंदर ही विद्रोह की चिंगारी सुलगी? और क्यों खुद राष्ट्रपति बशर अल-असद ही इस विद्रोह को ठीक से भांप नहीं पाए?

(फाइल फोटो: Xinhua/Bassem Tellawi/IANS)

मिडिल-ईस्ट के देश सीरिया में एक बार फिर सिविल वॉर छिड़ चुका है, सुन्नी बहुल सीरिया पर असद परिवार का साढ़े पांच दशक पुराने शासन का अंत हो गया है. सीरिया के ज्यादातर हिस्सों में विद्रोही गुटों के कब्जे के बाद रविवार (8 दिसंबर) को राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा है, सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनके परिवार ने रूस में शरण ली है, 1971 में बशर अल असद के पिता हाफिज अल-असद ने सीरिया में तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथों में ली थी.

हाफिज अल-असद का राज

हाफिज अल-असद ने साल 2000 तक सीरिया पर राज किया. उसके पहले वे वायुसेना में कमांडर और रक्षा मंत्री भी रह चुके थे. बशर अल-असद का ताल्लुक अल्पसंख्यक समुदाय अलावी से है, यह समुदाय सीरिया की पूरी आबादी का केवल 12 प्रतिशत ही है. बावजूद इसके 1971 से अब तक सत्ता अलावी राजवंश के पास थी.

जनता के दमन का आरोप


हाफिज अल-असद ने सत्ता पर काबिज होने के बाद सिर्फ अलावी समुदाय और अपने करीबियों को ही उच्च पदों पर बैठाया. असद के चचेरे भाई रामी मखलौफ का सीरिया की 60 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का नियंत्रण रहा. बशर के भाई माहेर, उनकी बहन बुशरा और बुशरा के पति आसिफ शौकत जैसे लोगों ने शासन की सुरक्षा और सैन्य तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन सभी लोगों पर सीरिया की आम जनता के दमन के आरोप लगते रहे. ऐसे में दूसरे समुदायों में असद परिवार के प्रति आक्रोश पनपने लगा और विद्रोह फैल गया. हाफिज की उसी परिपाटी से बशर ने भी विद्रोह को कुचलने के लिए हरसंभव कोशिश की, लेकिन वो हालात को संभाल नहीं पाए.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद. (फाइल फोटो: Syrian Presidency/Handout via Xinhua/IANS)

बशर नहीं संभालने वाले थे सत्ता

हाफिज ने अपने सबसे बड़े बेटे बैसेल को सत्ता संभालने के लिए तैयार किया था और इसकी तैयारी लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन 1994 में एक सड़क हादसे में बैसेल की मौत हो गई. इसके बाद 2000 में हाफिज की मौत के बाद हाफिज के दूसरे बेटे नेत्र रोग विशेषज्ञ बशर अल असद ने देश की सत्ता संभाली. उस वक्त जनमत संग्रह में असद को 97 प्रतिशत वोट मिले थे और तब से अब तक 24 साल सीरिया की सत्ता पर बशर अल-असद ने शासन किया.

विरासत में मिली दमन की नीति

असद के पिता हाफिज ने साल 1982 में सीरिया के हामा शहर में मुस्लिम ब्रदरहुड के विद्रोह को कुचला था. करीब 40 हजार लोगों की जान गई थी. पिता हाफिज अल असद की तर्ज पर बशर अल-असद ने सीरिया में जातीय, धार्मिक विभाजन का फायदा उठाने की कोशिश की, लेकिन वो विद्रोह को दबा नहीं पाए. 13 साल पहले पड़े आक्रोश का बीज उनके लिए मुसीबत का पहाड़ बन गया और नतीजा ये रहा कि उन्हें अपना ही मुल्क छोड़ दूसरे मुल्क में शरण लेनी पड़ी.

‘डॉक्टर अब तुम्हारी बारी’


बात 2011 की जब 14 साल के लड़के मौविया स्यास्नेह ने दक्षिणी सीरिया के शहर दारा की एक दीवार पर एक ग्रैफिटी में लिखा था ‘एजाक एल डोर’ मतलब ‘अब तुम्हारी बारी है डॉक्टर’, इसका साफ इशारा राष्ट्रपति बशर अल-असद की ओर था. बशर लंदन से मेडिकल की पढ़ाई कर लौटे थे और पेशे से नेत्र विशेषज्ञ थे.

सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद. (फाइल फोटो: Xinhua/SANA)

मौविया और साथियों का टॉर्चर

मौविया और उसके साथियों को 26 दिनों तक सीरिया की सीक्रेट पुलिस ने बंधक बनाकर रखा था और इस दौरान मौविया और उसके साथियों को खूब टॉर्चर किया गया था. मौविया और साथियों की रिहाई के लिए प्रदर्शन भी हुए. पुलिस ने गोलियां चलाईं, आंसू गैस के गोले दागे, मौविया और उनके साथियों के साथ हुई मारपीट की तस्वीरें वायरल भी हुई थीं, जिसमें मौविया और उसके साथियों को थर्ड डिग्री देने की बात सामने आई.

विद्रोह की आग

तस्वीरें रूह कंपा देने वालीं थीं, मौविया और उसके साथियों को दीवार पर टांगकर करंट लगाया जा रहा था. इन पर हुए इस अत्याचार ने आग में घी का काम किया. पूरे सीरिया में विद्रोह की आग फैल गई. साथ ही 2011 में लीबिया, ट्यूनीशिया और मिस्त्र में भड़के विद्रोह का भी गहरा असर सीरिया की जनता पर हुआ, असद ने सेना तैनात कर दी और लोगों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया, जिसके बाद धीरे-धीरे तमाम हथियारबंद विद्रोही गुट पनपने लगे और गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए.

‘अत्याचारी बशर अल-असद भाग गया’


विदेश में सीरिया के मुख्य विपक्षी समूह के प्रमुख हादी अल-बहरा सीरियन ने कहा कि दमिश्क अब ‘बशर अल-असद के बिना’ है. सशस्त्र विपक्ष ने अपने एक बयान में कहा, ‘अत्याचारी बशर अल-असद भाग गया है’. रूसी समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी अधिकारी सशस्त्र सीरियाई विद्रोहियों के प्रतिनिधियों के संपर्क में हैं, जिनके नेताओं ने सीरियाई क्षेत्र में रूसी सैन्य ठिकानों और राजनयिक मिशनों की सुरक्षा की गारंटी दी है.

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (दाएं) के साथ सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद. (फाइल फोटो: Xinhua/Iran’s Supreme Leader office/IANS)

रूसी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा

रूसी विदेश मंत्रालय ने सीरिया में हो रहीं घटनाओं पर अत्यधिक चिंता व्यक्त की है और वार्ता में शामिल सभी पक्षों से हिंसा को छोड़ने और राजनीतिक तरीकों से सभी मुद्दों को हल करने का आह्वान किया है. साथ ही मंत्रालय ने कहा कि बशर अल-असद ने पद छोड़ दिया है और शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण के निर्देश देते हुए देश भी छोड़ दिया है.

कौन है अबू मोहम्मद अल-जुलानी?


सीरिया की राजधानी दमिश्क के एक मिडिल-क्लास सुन्नी परिवार में अहमद हुसैन अल-शारा उर्फ अबू मोहम्मद अल जुलानी का जन्म हुआ. उसका परिवार एक मिडिल-क्लास अरब परिवार था, पिता एक इंजीनियर थे और परिवार सऊदी अरब की अरामको कंपनी के करीब रहता था.

जुलानी जब पैदा हुआ, उस वक्त सीरिया की राजनीति उथल-पुथल में थी. बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद की सरकार ने मुस्लिम ब्रदरहुड के खिलाफ 1982 में होम्स और हमा में एक बड़ा नरसंहार किया था, जिसके आक्रोश की गहरी छाप अबू के जेहन पर पड़ी थी.

अबू मोहम्मद अल-जुलानी अलेप्पो के ऐतिहासिक किले की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए नजर आया. खाकी कपड़ों में, बिना हथियारों वाले गार्ड्स के साथ. पीछे हजारों समर्थकों की भीड़. अबू ने हाल ही में सीरिया के सबसे बड़े शहर अलेप्पो को अपने कब्जे में लिया था और कुछ ही दिनों में हमा, होम्स और आखिरकार दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया.

(लेखक दो दशक से टीवी पत्रकारिता में सक्रिय हैं.)



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