(प्रतीकात्मक तस्वीर)
आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुए 6 वर्ष से अधिक का समय हो गया है. 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की पहली बार शपथ योगी आदित्यनाथ ने ली थी, शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ अपने कार्यों के बदौलत मिथकों को तोड़ते हुए नये कीर्तिमान स्थापित करने लगे, जो कि अभी भी जारी है.
योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का आलम यह है कि दक्षिण भारत के राज्यों में जहां हिन्दी भाषा का प्रचलन कम है, वहां भी इनको लेकर जबरदस्त क्रेज देखने को मिलता है वहीं हिन्दी पट्टी में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में योगी आदित्यनाथ शुमार हैं.
योगी आदित्यनाथ सरकार के बेहतरीन कार्यप्रणाली की प्रशंसा देश के माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने की, उन्होंने कहा, “लॉ एंड ऑर्डर के मामले में उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश है. बिना ऐसी व्यवस्था के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती. मुझे जानकारी है कि विकास की जो नींव पड़ रही है, उसका असर देश एवं विदेश में रहेगा.”
उद्योग वहीं स्थापित होते हैं जहां कानून व्यवस्था सही होने के साथ-साथ सरकार का सहयोग भी मिलता है. यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अबतक के देश के इतिहास में सर्वाधिक इन्वेस्टमेंट 35 लाख करोड़ के 20,652 एमओयू साइन हुए हैं. जिसके बदौलत 1 लाख 41 हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है.
अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस के आंकड़े उत्तर प्रदेश के मजबूत कानून व्यवस्था की कहानी बयां कर रहे हैं.
● 63055 अपराधियों के खिलाफ गैंगेस्टर अधिनियम व 836 के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई.
● गैंगेस्टर अधिनियम में 90 अरब 22 करोड़ 33 लाख की चल / अचल संपत्तियों का जब्तीकरण.
● माफिया एवं अपराधियों द्वारा अवैध ढंग से अर्जित 2819 करोड़ से अधिक की संपत्ति का जब्तीकरण.
● महिला अपराधों के खिलाफ 487 अभियुक्तों को आजीवन कारावास 1016 अभियुक्तों को 10 वर्ष एवं उससे ज्यादा का कारावास तथा 3076 अभियुक्तों को 10 वक्त के आसपास का कारावास सरकार की मजबूत पैरवी के चलते सुनिश्चित हुई.
● पॉस्को एवं महिला सम्बन्धित अपराधों में ई-प्रॉसीक्यूशन में पूरे देश में पहले स्थान पर काबिज़ होकर पॉस्को अधिनियम एवं महिला अपराध कानून के तहत 7276 अभियुक्तों को सजा दिलाने का कार्य.
● पुलिस मुठभेड़ में 175 दुर्दांत अपराधी मारे गये, 4808 घायल हुए एवं 15885 ईनामी अपराधियों को जेल भेजा गया.
● लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, कानपुर नगर, वाराणसी, प्रयागराज, आगरा में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की गई.
● बढ़ते हुए साइबर क्राइम के रोकथाम के लिए गौतमबुद्धनगर, लखनऊ के अलावा 16 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर एक – एक साइबर थानों की स्थापना का कार्य.
● क्राइम कन्ट्रोलिंग के लिए राज्य में 114 नये थानों, 163 नई चौकियों, 6 नये महिला पुलिस थानों, 4 नये आर्थिक अपराध सम्बन्धित थानों, 16 नये साइबर थानों का स्थापना कार्य.
● उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स का गठन.
● विगत 6 वर्षों में योगी सरकार ने प्रदेश में 5.50 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी है और यह भर्ती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न हुई. जिसमें 1 लाख 64 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती सुनिश्चित हुई.
● खेल को बढ़ावा देने के ध्येय के साथ योगी आदित्यनाथ सरकार ने युवक एवं महिला मंगल दलों को 65 हजार स्पोर्ट्स किट उपलब्ध कराए हैं, जिसकी वजह से युवा अपराध की तरफ आने के बजाय खेल की तरफ केंद्रित हो रहे हैं.
● मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 1.08 लाख बेघरों को छत देने का कार्य हुआ है, जिसकी वजह से लोग सुरक्षित अपने घरों में रह रहे हैं.
पहले के दिनों में उत्तर प्रदेश में हर दूसरे – तीसरे दिन दंगे होते थे, लेकिन विगत 6 वर्षों में कोई भी दंगा नहीं हुआ है. राज्य में हर एक नागरिक को राज्य सरकार पर भरोसा है कि उसके साथ कुछ भी गलत नहीं हो सकता, अगर कोई गलत कर रहा है तो वह किसी समुदाय/जाति विशेष का होने की वजह से भी नहीं बच सकता, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी इस सरकार ने अपने विधायकों को गलत पाए जाने पर सजा दिलाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बुलडोजर’ अन्याय के विरुद्ध बिना किसी भेदभाव के चलता है.
अब राज्य में न तो कोई दंगा करने का हिम्मत जुटा पा रहा है और न ही कोई अपराधी किसी कमज़ोर को सताने की हिमाकत कर पा रहा है. ना तो जेल में बन्द कोई अपराधी ट्रांसफर की सूची परिवर्तित करा पा रहा है और न ही कोई जेल को आरामगाह बना पा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की जो नज़ीर पेश की है उसका अनुसरण अन्य राज्य सरकारें भी करती नज़र आ रही हैं.
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.