प्रतीकात्मक तस्वीर
देश की एक नामी सीसीटीवी कंपनी ने अपने विज्ञापन में एक लाइन को प्रमुखता दी ‘ऊपरवाला सब देख रहा है’। इस कंपनी का उद्देश्य था कि उनके सीसीटीवी कैमरे की निगाह से कोई नहीं बच सकता। परंतु आज हम जिस संदर्भ में इस बात को कह रहे हैं वो सरकार द्वारा जनता पर नजर रखने से संबंधित है। यह एक ऐसा विषय है जो आप सभी को सोचने पर मजबूर कर देगा।
आपने देश के कई शहरों यातायात पुलिस द्वारा लगाए गये स्पीड कैमरे देखे होंगे। जो भी वाहन चालक स्पीड का क़ानून तोड़ता है। लाल बत्ती पार करता है। लाल बत्ती पर वाहन को स्टॉप लाइन के आगे खड़ा करता है। बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाता है या ऐसा कोई अन्य उल्लंघन करता है जो ट्रैफ़िक पुलिस के कैमरों में क़ैद हो जाता है तो उसके घर पर एक चालान पहुँच जाता है। ऐसे चालान आजकल ऑनलाइन भी चेक किए जा सकते हैं जहां पर फ़ोटो द्वारा ट्रैफ़िक नियम तोड़ने का प्रमाण भी दिखाई देता है। ज़ाहिर सी बात है कि जब से ऐसे चालान काटने शुरू हुए हैं जनता काफ़ी सतर्क हो गई है। इससे ट्रैफ़िक नियम उल्लंघन में काफ़ी कमी भी आई है।
अब बात करें एक अन्य कैमरे की जो हम पर नज़र रखे हुए है। यह कैमरा पुलिस विभाग द्वारा नहीं लगाया गया है। बल्कि यह कैमरा है ही नहीं। बिना कैमरे की यह निगरानी आयकर विभाग द्वारा रखी जाएगी। इन दिनों ज़्यादातर लेन-देन जब ऑनलाइन हो रहे हैं तो हमें काफ़ी सतर्क रहने की ज़रूरत है। सतर्क केवल ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों से नहीं बल्कि अपने द्वारा खर्च की जाने वाली रक़म पर भी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम जितनी भी ऑनलाइन ख़रीदारी करें वो हमारे खातों में दिखाई देगी। इसलिए आयकर विभाग की इन सब लेन-देन पर नज़र बनी रहेगी।
आजकल देश भर में एक से बढ़कर एक लक्ज़री गाड़ियों की भरमार है। पिछले कुछ वर्षों में सड़कों की स्थिति काफ़ी बेहतर हुई है। एक के बाद एक एक्सप्रेसवे जनता के लिए खोले जा रहे हैं। जब गाड़ियाँ और सड़कें बेहतर होंगी तो ज़ाहिर सी बात है कि लोग घूमने या अन्य कामों से अपने घरों से निकलेंगे भी। यहाँ प्रश्न उठता है कि इस सब से आयकर विभाग को क्या? इस सब से हमें सतर्क रहने की क्या ज़रूरत है? तो इसका जवाब है आपकी गाड़ी पर लगा ‘फ़ास्ट टैग’ जो आपके वाहन को किसी भी टोल नाके से बिना देर लगाए पार करवा देता है।
जब भी आप किसी टोल नाके को पार करते हैं तो आपकी गाड़ी पर लगे ‘फ़ास्ट टैग’ की मदद से टोल का भुगतान हो जाता है। हर वाहन चालक समय-समय पर अपने वाहन पर लगे ‘फ़ास्ट टैग’ को रिचार्ज भी करता रहता है जिससे कि कम बैलेंस के चलते वाहन को टोल पार करने में कोई दिक़्क़त न हो। परंतु क्या आपने इस बात पर ग़ौर किया है कि जैसे ही आपकी गाड़ी टोल से पार होती है और आपके खाते से टोल की रक़म कटती है तो उस लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड रख लिया जाता है। इस रिकॉर्ड के कई फ़ायदे हैं। यदि आपका वाहन चोरी हो जाता है और किसी टोल नाके को पार करता है तो वाहन को पकड़ने में भी मदद मिल जाती है। यदि आपने टोल को पास नहीं किया और फिर भी आपका टोल कट गया है तो आप इसी रिकॉर्ड के माध्यम से काटे गए ग़लत टोल को चुनौती भी दे सकते हैं। पुलिस द्वारा कुख्यात अपराधियों को पकड़ने में भी टोल नाके पर लगे कैमरे अक्सर मददगार साबित होते हैं।
इसी श्रृंखला में अब ‘फास्ट टैग’ आयकर विभाग की मदद भी करने लगेगा। मान लीजिए कि किसी ने छुट्टी मनाने की नियत से एक रोड ट्रिप प्लान किया। इस रोड ट्रिप में उनकी एक दिशा की यात्रा लगभग 700 किलोमीटर की है। ज़ाहिर सी बात है कि ऐसी लंबी यात्रा में वे आरामदायक गाड़ी ही लेकर जाएँगे। मिसाल के तौर पर एक अच्छी एस.यू.वी गाड़ी। ऐसी गाड़ी की ईंधन की खपत आराम से निकाली जा सकती है। जैसे ही यह गाड़ी टोल नाके से पार होगी सो ही उसका पूरा डाटा टोल नाके के कंप्यूटर पर क़ैद हो जाएगा। पूरी यात्रा के टोल से ही अनुमान लग जाएगा कि गाड़ी कितने किलोमीटर चली। सवाल उठता है कि इस सबसे आयकर विभाग को क्या परेशानी?
जब तक आप इस यात्रा में इस्तेमाल की गई गाड़ी में ईंधन अपने कार्ड से ख़रीदेंगे तब तक आयकर विभाग को इस सबसे कोई परेशानी नहीं है। लेकिन आमतौर पर यह देखा गया है कि लोग ऐसी यात्राओं पर नक़द ख़र्च करते हैं। क्योंकि कभी-कभी पेट्रोल पम्प पर कार्ड की मशीन काम नहीं करती या अन्य कोई कारण हो। परंतु यदि ऐसी यात्रा कभी-कभी कि जाती है और नक़द ख़र्चे के समर्थन में आपके पास समुचित बैंक की एंट्री है, तो कोई परेशानी नहीं। परंतु यदि आपके द्वारा की गई ऐसी यात्राओं की संख्या अधिक है, जो केवल छुट्टी मनाने के लिए नहीं है और इन यात्राओं में आपने गाड़ी में ईंधन नक़द भुगतान करके डलवाया है तो आप आयकर विभाग की निगरानी में ज़रूर आ सकते हैं। कारण स्पष्ट है आयकर विभाग इस ख़र्चे को आपकी आय से तुलना करेगा। यदि कोई विसंगति पाई जाती है तो आपको उसका उत्तर देना होगा। इसलिए यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको सतर्क रहने की ज़रूरत है। बेहतर तो यह हो कि ‘डिजिटल’ युग में आप नक़द भुगतान कम से कम करें और देश को उन्नति की ओर ले जाएँ। वरना ध्यान रहे ‘ऊपर वाला सब देख रहा है!’
*लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक हैं
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