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Diwali 2023: क्या दिवाली पर जला सकेंगे पटाखे? जानें अलग-अलग राज्यों में क्या है गाइडलाइन

Diwali 2023

Diwali 2023

Diwali 2023: दीपावली का मतलब है मिठाई और पटाखों का पर्व. हालांकि,थोड़ी सी लापरवाही पटाखों की रंग बिरंगी रोशनी व धमाके का मजा किरकिरा कर सकती है. हर साल इसी लापरवाही की वजह से लाखों लोग जख्मी होते हैं. इसके अलावा पटाखों के कारण वातावरण में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है. ऐसे में त्योहर और सर्दियों के मौसम में वायु की गुणवत्ता खराब न हो इसलिए पटाखों को लेकर अलग-अलग राज्यों में कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं हैं.

पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है. पटाखों को बैन करने के मामले पर सुनवाई करते हुए SC ने कहा है कि हमने जो पिछले आदेश दिए थे वो केवल दिल्ली भर के नहीं थे. पटाखों को बैन करने का हमारा आदेश पूरे देश के लिए था. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह दिल्ली एनसीआर समेत देश भर के अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मामले की सुनवाई कर रहे थे. पंजाब में पराली जलाने, देश के बाकी हिस्सों में अन्य कारणों से प्रदूषण के स्तर में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए अदालत ने कहा, यह सिर्फ अदालत का काम नहीं है कि वह प्रदूषण को रोके, ये सभी की जिम्मेदारी है खासकर सरकार की सबसे ज्यादा जवाबदेही है. तो आइये पटाखों को लेकर कहां क्या पाबंदी है जानते हैं.

गुरुग्राम में पटाखों के उत्पादन, बिक्री और भंडारण पर रोक लगाई गई है. जो कि 1 नवंबर से 31 जनवरी 2024 तक पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा. जिसमें ग्रीन पटाखों को शामिल नहीं किया गया है. जिन्हें फोड़ने के लिए दीपावली, नए साल की पूर्व संध्या, क्रिसमस और गुरुपर्व जैसे उत्सव के अवसरों पर सीमित समय के लिए जलाने की अनुमति दी जाएगी. पटाखों पर प्रतिबंध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निर्णय लिया गया है.

दिल्ली में पटाखे जलाने पर लगेगा जुर्माना

पिछले साल, सरकार ने घोषणा की थी कि शहर में दीपावली पर पटाखे जलाने पर छह महीने तक की जेल और 200 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. यह भी कहा गया था कि दिल्ली में पटाखों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर विस्फोटक अधिनियम की धारा 9बी के तहत 5,000 रुपये तक का जुर्माना और तीन साल की जेल का प्रावधान किया गया है. प्रतिबंध का पालन सुनिश्चित करने के लिए राजस्व विभाग और दिल्ली पुलिस सहित 285 टीमें भी गठित की गई हैं.

पंजाब में दिवाली और गुरुपर्व पर अनुमति

वहीं पंजाब सरकार ने अपने राज्य में प्रदुषण के स्तर को बढ़ने से बचाने के लिए दिवाली और गुरुपर्व पर पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, पंजाब सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया कि दिवाली और गुरुपर्व पर सिर्फ ग्रीन पटाखों को ही लाने की अनुमति होगी. पंजाब में दिवाली और गुरुपर्व के मौके पर रात 8 बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे फोड़े जा सकेंगे. सरकार की ओर से कहा गया कि मंडी गोबिंदगढ़ और जालंधर में पटाखे जलाने पर बैन है. इससे पहले चंड़ीगढ़ और हरियाणा में भी पटाखे जलाने पर पाबंदी लगाई गई है.

हरियाणा में इस बार की दिवाली बिना पटाखे की मनाई जाएगी. दरअसल हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में पटाखे बनाने, बेचने और फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह बैन अगले आदेश तक जारी रहेगा. हालांकि राज्य में ग्रीन पटाखें जलाये जा सकते हैं.

रात 8 बजे से 10 बजे तक अनुमति

पश्चिम बंगाल में भी ग्रीन पटाखों को छोड़कर अन्य पटाखों को जलाने या बिक्री और भंजारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यहां जारी किए गए नियम के अनुसार इस राज्य में काली पूजा और दिवाली के दिन रात आठ बजे से 10 बजे तक पठाखे जलाने कीा अनुमति होगी. छठपूजा के दिन सुबह 6 बजे से आठ बजे तक पटाखे जला सकेंगे.

तामिलनाडु में दो घंटे फोड़ पाएंगे पटाखे

तामिलनाडु में खराब हो रहे हवा की गुणवत्ता को देखते हुए दिवाली के दिन केवल दो घंटे तक पटाखें फोड़ने की अनुमति दी जा सकती है. इस राज्य में पिछले चार साल से पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे का समय तय किया गया है. नियम के अनुसार यहां सुबह 6 से 7 बजे और रात में 7 से 8 बजे तक पटाखों का इस्तेमाल किया जा सकता है. पुडुचेरी में पटाखे फोड़ने के लिए यही समय तय किया गया है.

इस साल दिवाली के मौके पर पटाखों पर लगे पाबंदियों के कारण पटाखा कारोबार पर काफी असर भी पड़ा है. पटाखों का हब माना जाने वाला तमिलनाडु के शिवाकाशी में हर साल 6 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता था. पर पहले कोरोना और फिर पाबंदियों की वजह से इंडस्ट्री को धक्का लगा है.

क्या पटाखों से फैलता है प्रदूषण?

अब जब राज्यों में पटाखों को लेकर नियम तय किए है तो एक सवाल उठता है कि क्या सच में पटाखों से प्रदूषण फैलता है…दरअसल, पिछले कुछ सालों में हमने हर साल दिवाली आने के साथ ही प्रतिबंध लगाने की बात सुनी होगी. कुछ राज्यों में तो यह पर्व खत्म होने के एक महीने बाद तक ये नियम लागू रहते हैं. खासकर राजधानी दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में ऐसा करने का कारण है खराब होती हवा को और खराब होने से बचाना. यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी ने साल 2018 में दिल्ली में खराब हवा पर पटाखों के असर पर एक स्टडी की थी. इसके स्टडी के लिए साल 2013 से 2016 तक का डेटा लिया गया था. जिसमें दावा किया गया था कि हर साल दिवाली के अगले दिन दिल्ली में PM2.5 की मात्रा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. वहीं, दिवाली की शाम 6 बजे से रात 11 बजे के बीच PM2.5 में 100% की बढ़ोतरी हुई थी.

-भारत एक्सप्रेस

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