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Anushi




भारत एक्सप्रेस


पाकिस्तान में तंगहाली और आर्थिक संकट के बीच वहां की सरकार और सेना लगातार अपना प्रोपोगेंडा फैलाने पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। ये प्रोपोगेंडा 27 अक्टूबर को कश्मीर के इतिहास का काला दिन घोषित करने के लिए फैलाया गया। अक्टूबर 1947 में इसी दिन भारतीय सेना ने कश्मीर से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा।

हमास के अटैक के बाद से इजरायल भड़का हुआ है. हाल में उसने यूनाइटेड नेशन्स के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के इस्तीफे की मांग कर डाली. उसका आरोप है कि गुटेरेस आतंकियों के लिए नर्म रवैया रखते हैं. अब इस मामले में UN प्रमुख की सफाई भी आ गई है.

रूस-यूक्रेनऔर अब इजरायल-हमास... दुनिया पहले ही दो खतरनाक युद्धों को झेल रही है. इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐसा फैसला लिया है, जिससे परमाणु हमले का खतरा बढ़ गया है.

इजराइल और हमास के बीच जारी जंग का आज 21वां दिन है। इजराइली सेना ने बताया कि उन्होंने हमास के 5 सीनियर कमांडरों को मार गिराया है। इनमें हमास इंटेलिजेंस का डिप्टी हेड शादी बारूद भी शामिल है।

हमास की बेहद क्रूर मानी जाने वाली मिलिट्री विंग अल-कासिम ब्रिगेड ने इजराइल पर हमला किया। इसका चीफ मोहम्मद देइफ है। यही 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमले का मास्टरमाइंड है। देइफ सालों से इजराइल की "मोस्ट वांटेड" लिस्ट में टॉप पर है।

नूपुर शर्मा की गिनती बीजेपी की तेजतर्रार प्रवक्ता के तौर पर होती थी। वह टीवी डिबेट में अक्सर दिखती थीं। पिछले साल जून में उन्होंने पैंगबर साहब पर आपत्तिजनक टिप्पणी की तो दुनियाभर से आपत्तियां जताई जाने लगीं।

देश के 8 पूर्व नौसैनिकों को कतर में फांसी की सजा के बाद भारत अपने नागरिकों को बचाने के लिए एक्टिव हो गया है। हालांकि, पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के लिए ये मामला इतना आसान नहीं रहने वाला है। कारण है कि कतर के साथ भारत के रिश्ते उतने मधुर नहीं हैं।

कतर में गिरफ्तार किए गए आठ पूर्व भारतीय नौसेना के अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई है. भारत ने इस पर हैरानी जताई है. भारत का कहना है कि उन भारतीयों की रिहाई के लिए कानूनी विकल्प तलाशे जा रहे हैं. इन पूर्व अफसरों को गिरफ्तारी में इजरायल कनेक्शन भी सामने आया है.

इजरायल और हमास में जारी जंग के बीच अमेरिका एक नए प्लान में जुट गया है. हमास से निपटने के लिए अमेरिका अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की तैयारी कर रहा है. ठीक इसी तरह का गठबंधन 2014 में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ बना था.

चुनावी राजनीति में जीत का सबसे अहम पैमाना जाति को ही माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में ठाकुर-ब्राह्मणों की केमिस्ट्री में जाति का ये गणित फेल होता दिख रहा है। 14 फीसदी से भी कम आबादी वाले सामान्य वर्ग को 37 प्रतिशत उम्मीदवारी मिली है।