

देश अब ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है. प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत एक करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त या सस्ती बिजली मिल सकेगी. यह पहल ना सिर्फ घरेलू खर्चों को कम करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा को भी बढ़ावा देगी. इस योजना से देश में 30 गीगावॉट रूफटॉप सोलर क्षमता का लक्ष्य 2026-27 तक पूरा करने की तैयारी है. सौर पैनलों की स्थापना से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. ‘मॉडल सोलर विलेज’ जैसे प्रयोग गांवों को पूरी तरह सौर ऊर्जा पर आधारित बनाकर पूरे देश के लिए मिसाल बन रहे हैं. सूरज की रोशनी अब सिर्फ उजाला नहीं, बल्कि सशक्तिकरण, बचत और विकास का प्रतीक बन रही है. पीएम सूर्य घर योजना एक हरित, आत्मनिर्भर और उज्ज्वल भारत की दिशा में निर्णायक पहल है. 21वीं सदी में ऊर्जा सिर्फ जरूरत नहीं, आत्मनिर्भरता और समृद्धि का प्रतीक बन चुकी है. जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और सीमित पारंपरिक संसाधनों के बीच अब पूरी दुनिया ऊर्जा संक्रमण की राह पर है. जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा का ओर बढ़ना अब विकल्प नहीं, अनिवार्यता बन गया है. भारत, जिसने पिछले दशक में सौर ऊर्जा में ऐतिहासिक छलांग लगाई है, अब सौर क्रांति के दूसरे चरण में प्रवेश कर चुकी है — जहां उत्पादन केंद्रों से निकलकर बिजली हर घर की छत से निकल रही है.
अदाणी फाउंडेशन: हर गांव तक सौर क्रांति पहुंचाने का लक्ष्य
अमेठी के टिकरिया इलाके के गांव के लोग अब बिजली के भारी बिल की चिंता से मुक्त हो गए हैं. प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और अदाणी फाउंडेशन की संयुक्त पहल से यह संभव हो पाया है . अदाणी समूह के एसीसी सीमेंट प्लांट के सीएसआर फंड से मिली ₹15 हजार प्रति लाभार्थी की मदद और सरकारी सब्सिडी से ग्रामीणों के घरों पर सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं. अदाणी फाउंडेशन ने घर-घर जाकर योजना के फायदे बताए, जिसके बाद अब तक आस-पास के गांवों में 90 घरों में सोलर पैनल लग चुके हैं. अदाणी फाउंडेशन इस योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. फाउंडेशन की टीम पहले लाभार्थियों की सूची बनाती है, जिला प्रशासन से समन्वय करती है, और लाभार्थियों को राष्ट्रीय पोर्टल पर पंजीकृत कराती है. फिर चयनित वेंडर घर जाकर छत का निरीक्षण करता है, दस्तावेज़ इकट्ठा करता है, और सोलर सिस्टम इंस्टॉल करता है. स्थानीय ग्रामीणों के साथ बैठकों का आयोजन कर योजना के लाभों की जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही लाभार्थियों से सहमति पत्र लिया जाता है और प्लांट की स्थापना के बाद बिजली विभाग से प्रमाण-पत्र लेकर भुगतान प्रक्रिया पूरी होती है.
ये योजना एक नई रोशनी की शुरुआत
पीएम सूर्य घर योजना का उद्देश्य हर आम नागरिक को बिजली उत्पादन में भागीदार बनाना है. योजना के तहत 1 से 6 किलोवॉट तक के सोलर पैनल सब्सिडी के साथ लगाए जा रहे हैं. इससे न सिर्फ घरेलू जरूरतें पूरी होती हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली ग्रिड में बेचकर आमदनी भी होती है. मान लीजिए किसी लाभार्थी ने 1 किलोवॉट का सोलर प्लांट लगाया जिसकी लागत करीब ₹65 हजार है. इसमें सरकार की सब्सिडी ₹45 हजार और अदाणी फाउंडेशन का योगदान ₹15 हजार है. ऐसे में लाभार्थी की हिस्सेदारी सिर्फ ₹5 हजार है. इससे रोजाना औसतन 4.5 यूनिट, यानी हर महीने 135 यूनिट बिजली का उत्पादन होता है — जिससे हर महीने ₹877 तक की आमदनी होती है. यही नहीं, 2 किलोवॉट पर लगभग ₹1 हजार 755, 3 किलोवॉट पर ₹2 हजार 632, और 6 किलोवॉट के सिस्टम पर ₹5 हजार 265 प्रति माह तक की कमाई की जा सकती है. यह वो स्थायी आय है, जो एक बार की मामूली पूंजी से बरसों तक चलती है.
सौर ऊर्जा: गांवों की ज़िंदगी में बड़ा बदलाव
सौर ऊर्जा में अपार संभावनाएं हैं. यह न सिर्फ स्वच्छ है, बल्कि लगभग शून्य रखरखाव पर चलती है. आज जहां कोयले, तेल और गैस की कीमतें वैश्विक राजनीति से प्रभावित होती हैं, वहीं सूरज हर दिन मुफ्त में उगता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, अगले एक दशक में सौर ऊर्जा की लागत में 20 से 25 फीसदी तक गिरावट आएगी. ऐसे में भविष्य में यह ऊर्जा का सबसे सस्ता और सुलभ स्रोत बन जाएगा. योजना का सबसे बड़ा असर गांवों में देखने को मिल रहा है. जहां पहले बिजली की कमी थी, अब वहां स्वनिर्भर बिजली उत्पादन हो रहा है. उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले के बार गांव में रहने वाले रामेश्वर सिंह ने 3 किलोवॉट का संयंत्र लगवाया. उनका कहना है, “पहले बिजली बिल और जनरेटर दोनों की चिंता रहती थी. अब हर महीने बिजली भी है और 2 हजार 500 रुपये की कमाई भी होती है.”
बदलती तस्वीर: महिलाओं से रोजगार तक
सोलर सिस्टम लगाने से जहां बिजली का खर्च कम हुआ है, वहीं गांवों में नए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं. स्थानीय युवा सोलर टेक्नीशियन बन रहे हैं, महिलाएं जानकारी साझा कर रही हैं और किसान अब सिंचाई के लिए भी सौर पंप का उपयोग कर रहे हैं. योजना के अंतर्गत हर लाभार्थी के घर पर ब्रांडिंग की जा रही है, जिससे और लोग भी प्रेरित हों. छत पर लगे पैनल और उसके नीचे लिखा प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना अब सिर्फ एक बोर्ड नहीं, एक नई उम्मीद का प्रतीक बन गया है. संपूर्ण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हर चरण का दस्तावेजीकरण अनिवार्य है — पंजीकरण से लेकर स्थापना, ग्रिड कनेक्शन और प्रमाण-पत्र तक. भुगतान तभी होता है जब लाभार्थी संतुष्ट होकर अंतिम अनुमोदन देता है. इससे वेंडर, लाभार्थी और प्रशासन सभी की जवाबदेही तय होती है. पीएम सूर्य घर योजना सिर्फ एक सरकारी स्कीम नहीं, यह भारत के ऊर्जा इतिहास का अगला अध्याय है. यह योजना पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता — तीनों को एक साथ साध रही है. अब सूरज सिर्फ उगता नहीं, कमाता भी है. और वो भी आपके अपने आंगन से.
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-भारत एक्सप्रेस
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