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Moody’s ने मानी भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत, लेकिन रिपोर्ट में नौकरशाही की कार्यशैली पर उठाए सवाल

मूडीज निवेशक सेवा का कहना है, “भारत की उच्च-नौकरशाही की लेट-लतीफी के चलते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के तौर पर भारत का आकर्षण घट जाएगा. खास तौर पर तब, जब इस क्षेत्र में वियतनाम और इंडोनेशिया जैसी दूसरी विकासशील अर्थव्यवस्थाएं मौजूद हैं.”

Moody's

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 3.5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है और आगामी वर्षों में भारत G-20 देशों की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा. लेकिन, इस काम को मुकम्मल करने में भारत की नौकरशाही आड़े आ सकती है. गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध अमेरिका की रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ (Moody’s) ने इस संदर्भ में भारतीय नौकरशाही की आलोचना की है.

मंगलवार को मूडीज की ओर से कहा गया कि भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन सुधार और नीतियों के संबंध में व्याप्त बाधाएं निवेश के प्रति रूझान को कम कर रहे हैं. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि नए बिजनेस को स्थापित करने और लाइसेंस प्रदान करने में नौकरशाही की तरफ से काफी लेट-लतीफी की जाती है. यह अधिकांश प्रोजेक्ट के लटके रहने की सबसे बड़ी वजह है.

मूडीज निवेशक सेवा का कहना है, “भारत की उच्च-नौकरशाही की लेट-लतीफी के चलते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के तौर पर भारत का आकर्षण घट जाएगा. खास तौर पर तब, जब इस क्षेत्र में वियतनाम और इंडोनेशिया जैसी दूसरी विकासशील अर्थव्यवस्थाएं मौजूद हैं.”

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में युवा और पढ़ा-लिखा वर्कफोर्स है. न्यूक्लियर परिवारों की संख्या में इजाफा हो रहा है और शहरीकरण के चलते नए घर और गाड़ियों की डिमांड में इजाफा होगा. आधारभूत ढांचा पर सरकार द्वारा किए जा रहे खर्च से स्टील और सीमेंट इंडस्ट्री काफी ताकवर होंगी. वहीं, नेट जीरो के प्रति प्रतिबद्धता के कारण नवीनीकरण ऊर्जा (Renewable Energy) में भी निवेश आएंगे.

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