कैशलेस उत्तर प्रदेश. (प्रतीकात्मक फोटो)
उत्तर प्रदेश में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है. केवल तीन महीनों में डिजिटल लेन-देन की संख्या 411.55 करोड़ से बढ़कर 707.64 करोड़ तक पहुंच गई. यह वृद्धि इसी रफ्तार से जारी रही तो अगले साल मार्च तक यह आंकड़ा 1400 करोड़ के पार हो सकता है. खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश में हर व्यक्ति औसतन साल में 7.731 बार डिजिटल लेन-देन करता है.
वर्षवार डिजिटल लेन-देन का आंकड़ा (करोड़ में):
2018-19: 161.69
2019-20: 189.07
2020-21: 391.02
2021-22: 426.68
2022-23: 174.32
2023-24: 893.98
2024-25 (सितंबर 2024 तक): 707.64
कोरोना काल के दौरान डिजिटल भुगतान में 106% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. हालांकि, इसके बाद कुछ गिरावट आई, लेकिन 2022-23 में इसमें फिर 175% की बढ़ोतरी देखी गई.
एक समय ऐसा भी था जब उत्तर प्रदेश में डिजिटल भुगतान का उपयोग सीमित था. वर्ष 2018-19 में इसमें केवल 31.63 करोड़ लेन-देन ही हुए थे. कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए बैंकों ने आधार और रुपे कार्ड आधारित जमा और भुगतान की प्रक्रिया पर जोर दिया. इसके अलावा, मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई, और इंटरनेट बैंकिंग जैसी सुविधाओं ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
भुगतान माध्यम और लेन-देन संख्या (March 2024 – September 2024):
भीम यूपीआई: 6,671,303,783
भीम आधार: 73,757,042
भारत क्यूआर कोड: 4,897,234
आईएमपीएस (त्वरित भुगतान सेवा): 148,638,936
डेबिट-क्रेडिट कार्ड: 163,223,287
UPI सबसे लोकप्रिय Digital Payments माध्यम बनकर उभरा है. छोटे दुकानदारों, पान विक्रेताओं, सब्जी वालों और ऑटो चालकों के बीच भी QR code और पॉस मशीनों के उपयोग का चलन बढ़ा है.
भारत के सबसे बड़े आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में Banking Network, ATM की बढ़ती संख्या और डिजिटल सेवाओं के विस्तार ने इस परिवर्तन को तेजी से आगे बढ़ाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि फुटकर नोटों की कमी और तकनीकी पहुंच के कारण लोग नगद के बजाय डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता देने लगे हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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