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सरकार ने कैंसिल की पवनहंस विनिवेश प्रक्रिया, तीसरी बार हो रही थी बेचने की कोशिश

सरकार की पवन हंस को बेचने की यह तीसरी कोशिश थी. इससे पहले साल 2018 में साल 2019 में भी सरकार इसे प्राइवेट करने की कोशिश कर चुकी है

प्रतीकात्मक तस्वीर

PAWAN HANS :  हेलिकॉप्टर की सुविधा देने वाली कंपनी पवन हंस के निजीकरण की कोशिशें एक बार फिर से ठंडे बस्ते में चली गई हैं. केंद्र सरकार लगातार तीसरी बार विनिवेश के जरिए इसके प्राइवेटाइजेशन की कोशिश कर रही थी, लेकिन एक बार फिर से सरकार की कोसिस फेल हो गई है. सरकार ने पवनहंस के विनिवेस की प्रक्रिया को टाल दिया है. पवन हंस भारत सरकार और महारत्ना कंपनी ओएनजीसी ( ONGC ) का जॉइंट वेंचर है. पवनहंस में सरकार 51 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है जबकि बाकी हिस्सा ओएनजीसी ( ONGC )  के पास है.

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तीन बार सरकार कर चुकी है कोशिश –

सरकार की पवन हंस को बेचने की यह तीसरी कोशिश थी. इससे पहले साल 2018 में साल 2019 में भी सरकार इसे प्राइवेट करने की कोशिश कर चुकी है. लेकिन निवेशकों से अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर कैंसिल करना पड़ा था.

क्यों टाली गई विनिवेश की प्रक्रिया-

सरकार ने 29 अप्रैल, 2022 को स्टार-9 मोबिलिटी को पवन हंस में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए सफल बिडर माना गया था. हालांकि स्टार-9 मोबिलिटी को लेटर आफ इंटेंट (एलओआई) जारी नहीं किया गया था. अब इस कंपनी को प्रक्रिया में शामिल होने के योग्य नहीं माना गया. इसी कारण से इस विनिवेश प्रक्रिया को टाल दिया गया है.

स्टार 9 मोबिलिटी की पार्टनर फर्म अल्मास के ऊपर कई सारे आरोप हैं जिसकेचलते उनके खिलाफ कई सरकारी आदेश निकाले जा चुके हैं. भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने भी एक विशेष अदालत में अल्मास के खिलाफ शिकायत दायर की थी. इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सफल बोलीकर्ता फर्म ही को अयोग्य घोषित कर दिया गया.

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