भारत में कैश का इस्तेमाल
Cash Circulation in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के ऐलान के पांच साल हो चुके हैं. 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का ऐलान किया था जिसके बाद उसी दिन आधी रात से 500 से 1000 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे. ऐसे में नोटबंदी के इस्तेमाल को कम करने के उपायों और यूपीआई जैसे लेनदेन के जोर पकड़ने के बाद भी भारत में कैश का इस्तेमाल कम नहीं हो रहा है. माना जा रहा है कि 2016-17 से लेकर 2023-24 तक भारत में कैश का इस्तेमाल लगभग 165 फीसदी बढ़ा है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अभी भी भारतीय भारी मात्रा में कैश का इस्तेमाल कर रहे हैं.
ढाई गुने से भी ज्यादा बढ़ा कैश का इस्तेमाल
जहां भारत में वित्त वर्ष 2016-17 में 13.35 लाख करोड़ रुपये का कैश सर्कुलेशन में था, वहीं मार्च 2024 में यानी वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में कैश की मात्रा बढ़कर 35.15 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. यह कैश सर्कुलेशन में पिछले 7 वित्त वर्ष के दौरान आई 163.29 फीसदी की तेजी है. यानी इन सालों में कैश का इस्तेमाल ढाई गुने से भी ज्यादा बढ़ गया है.
कब हुई थी नोटबंदी
भारत में कैश का इस्तेमाल ऐसे समय में बढ़ा है जब इन सालों के दौरान नोटबंदी और UPI बैंकिंग को बढ़ावा देने के कई उपाय किए हैं. सबसे पहले तो वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 8 नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का ऐलान किया था. नोटबंदी के दौरान उस समय दो सबसे बड़े नोट 500 रुपये और 1000 रुपये को बंद कर दिया गया था. उसका बाद 2000 रुपये का नोट लाया गया था जिसे पिछले साल बंद कर दिया गया.
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इस महीने में बंद हुए 2000 के नोट
आपको बता दें कि केंद्रीय बैंक ने मई 2023 में 2000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला लिया था. जिस समय आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला लिया था, उस समय कैस सर्कुलेशन में 2000 रुपये के नोट की मात्रा साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी. यानी की 3.56 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोटों में से 97.83 फीसदी बैंकों के पास वापस लौटे हैं.
यूपीआई का भी बढ़ा इस्तेमाल
वहीं, अब यूपीआई की बात करें तो इसकी शुरुआत भी वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान ही हुई थी. कोविड महामारी के दौरान यूपीआई के इस्तेमाल में काफी जबरदस्त तेजी देखी गई थी. फरवरी 2024 में हो रहे यूपीआई ट्रांजैक्शन के आंकड़ों की बात करें तो भारत में इसकी मात्रा बढ़कर रिकॉर्ड 18.07 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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