Bharat Express

महिलाओं के विकास के युग से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की नई दिशा की ओर अग्रसर हो रहा भारत

भारत महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रहा है, जहाँ वे केवल लाभार्थी नहीं बल्कि नवाचार और नीति निर्माण की अगुवा बन रही हैं. सरकार की विभिन्न योजनाएँ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर उन्हें नेतृत्व की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध हो रही हैं.

women development

जैसे ही विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है, यह महत्वपूर्ण समय है जब हम इस पर विचार करें कि भारत महिलाओं के विकास के युग से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की नई दिशा की ओर अग्रसर हो रहा है. यह परिवर्तन एक महत्वपूर्ण अंतर को दर्शाता है: महिलाओं को अवसर, सेवाओं और स्थानों तक पहुंच प्रदान करना आवश्यक है, जिससे समानता सुनिश्चित होती है. हालांकि, महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास मात्र समावेशन से आगे बढ़कर महिलाओं को नेतृत्व की कमान संभालने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और नीतियों को आगे बढ़ाने का अधिकार प्रदान करता है.

महिला सशक्तिकरण की अवधारणा में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है. भारत ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि महिलाएं विकास के केंद्र में हैं. शक्ति संतुलन बदल रहा है ताकि महिलाएं स्वयं परिवर्तन का नेतृत्व कर सकें. अब महिलाएं केवल सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की लाभार्थी नहीं हैं, बल्कि वे सक्रिय रूप से बदलाव लाने वाली बन रही हैं. भारत एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रहा है, जहाँ महिलाएं निर्णय लेने, नेतृत्व करने और नीतियों के क्रियान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाएं, व्यवसायों और सामुदायिक पहलों का नेतृत्व करें और राष्ट्र को सशक्त बनाएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं: “जब महिलाएं समृद्ध होती हैं, तो विश्व समृद्ध होता है.” महिलाओं की प्रगति हमारे राष्ट्र के सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करती है.

महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास: एक नई दिशा

भारत ने हमेशा अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों में निहित महिला नेतृत्व को संजोया और प्रोत्साहित किया है. वैदिक काल में गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने दार्शनिक चर्चाओं में समान रूप से भाग लिया और उस समय महिलाओं को उपलब्ध शैक्षिक अवसरों का प्रतीक बनीं. रानी लक्ष्मीबाई और कित्तूर रानी चेनम्मा जैसे वीरांगनाओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्षेत्रीय और लैंगिक विविधता का प्रतिनिधित्व किया. आज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला और इस उच्च पद पर आसीन होने वाली दूसरी महिला हैं. चंद्रयान और मंगलयान अभियानों की सफलता में भारत की महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) विषयों में स्नातक करने वाले कुल छात्रों में 43% महिलाएं हैं, जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा लगभग 30% है. आज महिलाएं व्यवसाय, चिकित्सा और सशस्त्र बलों सहित कई क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. लेकिन यह बदलाव केवल इन तक सीमित नहीं है.

देशभर में करोड़ों महिलाओं को जमीनी स्तर पर सशक्त बनाया जा रहा है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लगभग 1.15 करोड़ ‘लखपति दीदी’ स्वयं सहायता समूहों (SHG) की सदस्य हैं, जिनकी वार्षिक घरेलू आय ₹1 लाख से अधिक है. ‘ड्रोन दीदी’ योजना के तहत 2024-25 से 2025-26 के बीच 15,000 चयनित स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किए जाएंगे, जिनका उपयोग कृषि में तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव, जल संसाधनों के प्रबंधन, सिंचाई और मिट्टी की गुणवत्ता के विश्लेषण में किया जाएगा. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत दिए गए कुल ऋणों में से 69% से अधिक महिलाओं को दिए गए हैं.

महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएं और उनकी प्रभावशीलता

भारत में लगभग 80% महिलाओं के पास स्वयं संचालित बैंक खाते हैं. स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन ने क्रमशः 10 करोड़ और 12.2 करोड़ घरों को शौचालय और नल का जल उपलब्ध कराकर लाखों महिलाओं को लाभान्वित किया है. ग्रामीण आवास योजना के तहत 74% घर या तो महिलाओं के नाम पर या उनके संयुक्त स्वामित्व में हैं. सरकार की उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 10.3 करोड़ महिलाओं को धुएं से मुक्त रसोई का लाभ मिला है. मई 2024 तक, 14 लाख से अधिक महिलाएं पंचायती राज संस्थाओं (PRI) की निर्वाचित सदस्य थीं, जो कुल प्रतिनिधियों का 46% हैं. महिला सरपंच अपने गांवों में जल प्रबंधन, सौर ऊर्जा, सड़कों, शौचालयों और बैंकों की स्थापना जैसी परियोजनाओं का नेतृत्व कर रही हैं.

वैश्विक स्तर पर भारत का नेतृत्व और महिला सशक्तिकरण

महिलाओं को नेतृत्व देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास आवश्यक हैं. सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित करके इस दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटों की गारंटी देता है. मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन करके महिलाओं के लिए 26 सप्ताह के सवेतन मातृत्व अवकाश की व्यवस्था की गई है. ‘महिला हेल्पलाइन’ और ‘She-Box’ जैसी पहल संकटग्रस्त महिलाओं को सहायता प्रदान कर रही हैं, जबकि ‘राज्यों को पूंजीगत निवेश के लिए विशेष सहायता (SASCI)’ योजना के तहत पूरे देश में 1,000 कामकाजी महिला छात्रावासों की स्थापना की जा रही है, जिससे आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा.

भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान प्रधानमंत्री ने महिला नेतृत्व वाले विकास का जो आह्वान किया था, उसे 2024 में ब्राजील की अध्यक्षता में समर्थन मिला. यह हमारे राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हम महिलाओं की पूरी क्षमता का उपयोग करें, उनके बहुमूल्य योगदान को पहचानें और राष्ट्र की प्रगति व समृद्धि में उनके नेतृत्व की भूमिका का उत्सव मनाएं. आइए, हम सब एकजुट होकर #AccelerateAction की दिशा में कदम बढ़ाएं और भारत के उज्जवल भविष्य के निर्माण में सक्रिय भागीदार बनें.

ये भी पढ़ें: एशिया-पैसिफिक में ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ी, भारत सबसे आगे

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read