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महिला सशक्तिकरण की ओर भारत: स्वच्छता, जल, वित्त और उद्यमिता में नई पहल

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, वित्तीय समावेशन, और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली पहलों की सफलता को उजागर किया गया है, जिससे वे शासन, कार्यबल और सामुदायिक नेतृत्व में सक्रिय भागीदार बन रही हैं.

Women Empowerment

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, यह महत्वपूर्ण है कि हम भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हो रहे प्रयासों को पहचानें. सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न नीतियाँ महिलाओं को स्वच्छता, स्वच्छ जल, वित्तीय समावेशन और उद्यमिता के क्षेत्रों में सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. इन पहलों के साथ सामाजिक और आर्थिक बदलाव मिलकर भारत में महिलाओं की भागीदारी को शासन, कार्यबल और सामुदायिक नेतृत्व में बढ़ावा दे रहे हैं.

भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम स्वच्छ भारत अभियान (एसबीएम) के रूप में उठाया गया. यह पहल केवल शौचालय निर्माण तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करना था. यह अभियान विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच को समाप्त करने पर केंद्रित था, जहां महिलाओं को अधिक चुनौतियों और खतरों का सामना करना पड़ता था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन के तहत 11.6 करोड़ से अधिक परिवार लाभान्वित हुए हैं, जिससे महिलाओं को अधिक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिला है.

महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव

उड़ीसा के राउरकेला में माँ तारिणी स्वयं सहायता समूह (SHG) ने कुष्ठ रोगियों की स्वच्छता आवश्यकताओं को पूरा करने की पहल की. उन्होंने सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया, जिससे महिलाओं को सुरक्षित स्थान मिला और मासिक धर्म स्वच्छता में सुधार हुआ. इस पहल में खाद निर्माण (कम्पोस्टिंग) को भी शामिल किया गया, जिससे समुदाय को आय प्राप्त हुई और सतत कचरा प्रबंधन को बढ़ावा मिला.

स्वच्छ भारत अभियान की सफलता को देखते हुए, जल जीवन मिशन (JJM) की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य हर घर को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना था. इससे पहले, केवल 17% ग्रामीण घरों में नल से जल आपूर्ति थी, जिससे महिलाओं को पानी लाने में लंबा समय बिताना पड़ता था. जल जीवन मिशन के अंतर्गत अब 15 करोड़ से अधिक घरों में नल जल कनेक्शन उपलब्ध हैं, जिससे महिलाओं के दैनिक जीवन में बड़ा बदलाव आया है.

वित्तीय समावेशन और महिला उद्यमिता

इस पहल के प्रभाव केवल सुविधा तक सीमित नहीं हैं. अध्ययनों से पता चला है कि जल उपलब्धता में सुधार से बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में कृषि और संबंधित कार्यों में महिलाओं की भागीदारी 7.4% बढ़ी है. 2017 से 2023 के बीच, ग्रामीण महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी 24.6% से बढ़कर 41.5% हो गई, जिसमें जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण कारक रहा. पानी लाने के कार्य से मुक्त होकर महिलाएँ अब आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त बना रही हैं.

भारत का आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, और इसमें महिला उद्यमियों और वित्तीय समावेशन पहलों की महत्वपूर्ण भूमिका है. डिजिटल कनेक्टिविटी, नीतिगत समर्थन और आर्थिक सशक्तिकरण के कारण अब महिलाएँ व्यवसाय जगत में अपनी पहचान बना रही हैं.

स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत 73,000 से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता मिली है, जिनमें कम से कम एक महिला निदेशक है. सरकार समर्थित वित्तीय योजनाएँ, जैसे कि स्टैंड-अप इंडिया योजना और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना रही हैं. स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 2,36,000 उद्यमियों को ₹53,609 करोड़ के ऋण प्रदान किए गए हैं, जबकि मुद्रा योजना के तहत 51.41 करोड़ ऋणों के लिए ₹32.36 लाख करोड़ स्वीकृत किए गए, जिनमें से 68% ऋण महिलाओं को दिए गए.

डिजिटल क्रांति और महिला सशक्तिकरण

डिजिटल कनेक्टिविटी के विस्तार ने भी वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है. भारतनेट और प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI) जैसी पहलें 1,99,000 गाँवों और 2,14,000 ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँचा रही हैं, जिससे महिलाओं को बैंकिंग सेवाओं, ई-कॉमर्स और व्यापार के अधिक अवसर मिल रहे हैं. प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 30 करोड़ से अधिक महिलाओं के बैंक खाते खोले गए हैं, जिससे महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त हो रही है.

महिला उद्यमिता ई-कॉमर्स और सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में भी महत्वपूर्ण स्थान बना रही है. गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल पर महिला उद्यमी अब कुल विक्रेता आधार का 8% हैं, और 1,00,000 से अधिक उद्यम पंजीकृत होकर ₹46,615 करोड़ के अनुबंध प्राप्त कर चुके हैं.

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म छोटे स्तर की महिला उद्यमियों के लिए गेम चेंजर साबित हो रहे हैं. मध्य प्रदेश की रीना किरार, जो गिरिजा देवी जन कल्याण समिति नामक स्वयं सहायता समूह चलाती हैं, ने GeM पोर्टल के माध्यम से अपने व्यवसाय का विस्तार किया. यह उदाहरण दर्शाता है कि तकनीक किस प्रकार छोटे उद्यमों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रही है.

महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में बढ़ोतरी

भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 33% महिला आरक्षण लागू किया गया है, जिससे निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका मजबूत हुई है. आज महिलाएँ केवल सहभागी नहीं हैं, बल्कि वे मुख्य निर्णयकर्ता भी बन रही हैं.

ग्रामीण स्तर पर, पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में महिलाओं की भागीदारी लगभग 46% हो गई है, जिसमें 14 लाख से अधिक महिलाएँ स्थानीय शासन में कार्यरत हैं. यह बदलाव केवल संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि नीतियों को परिवारों और समुदायों की प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाने में भी सहायक है. महिलाओं के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जब महिलाएँ नेतृत्व करती हैं, तो समाज समृद्ध होता है.

भारत में महिलाएँ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) जैसे क्षेत्रों से लेकर खेल, शासन और उद्यमिता तक सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं. आज, देश में 43% STEM स्नातक महिलाएँ हैं, जो तकनीकी कार्यबल में योगदान दे रही हैं. 2023 में G-20 महिला सशक्तिकरण मंत्री स्तरीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “जब महिलाएँ समृद्ध होती हैं, तो दुनिया समृद्ध होती है.” महिलाओं को उद्यमिता, शिक्षा और वित्तीय समावेशन के माध्यम से सशक्त बनाकर, हम नवाचार, आर्थिक प्रगति और सामाजिक बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम उठा रहे हैं. अब आवश्यक है कि इस गति को बनाए रखा जाए, ताकि यह प्रगति भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी बदलाव लाए.

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-भारत एक्सप्रेस 



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