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भारत में लिथियम-आयन बैटरी की मांग वित्त वर्ष 2030 तक बढ़कर 127 गीगावाट घंटा हो जाएगी: CareEdge Ratings

केयरएज रेटिंग्स को उम्मीद है कि लिथियम-आयन बैटरी को लेकर भारत में आयात जरूरत वित्त वर्ष 2027 तक घटकर 20 प्रतिशत रह जाएगी.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

Li-ion Battery Production: भारत ने 2030 तक अपनी प्राथमिक ऊर्जा आवश्यकता का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. इसी के साथ देश में लिथियम-आयन बैटरी की मांग वित्त वर्ष 2027 तक 54 गीगावाट घंटे (GWH) और वित्त वर्ष 2030 तक 127 गीगावाट घंटे तक तेजी से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.

वर्तमान में, 15 गीगावाट घंटे की घरेलू लिथियम-आयन बैटरी भंडारण मांग लगभग पूरी तरह से लिथियम-आयन सेल और बैटरी के आयात से पूरी की जाती है.

लिथियम बैटरी का आयात

भारत (India) अपनी लिथियम आयन बैटरी की जरूरत आयात से पूरी करता है. केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) को उम्मीद है कि देश की बैटरी को लेकर यह आयात जरूरत वित्त वर्ष 2027 तक घटकर 20 प्रतिशत रह जाएगी. हालांकि, लिथियम आयन बैटरी स्टोरेज के लिए बड़े पैमाने पर इंटीग्रेटेड कैपेसिटी पैदा करने की वजह से मांग में तेजी जारी रहेगी.

रिपोर्ट में बताया गया है कि मांग में वृद्धि मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के प्रवेश में वृद्धि और बिजली ग्रिड के डीकार्बोनाइजेशन से प्रेरित है, जिसे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की महत्वाकांक्षी सरकारी लक्ष्यों और नीतियों/प्रोत्साहनों से समर्थन मिला है.


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वीडीएफ योजना

सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण योजना (FAME), बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए VDF (Viability Gap Funding) योजना पर ध्यान दे रही है, जिससे EV और BESS (बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम) की लागत कम करने में मदद मिली है, जिससे मांग को बढ़ावा मिला है.

केंद्र ने 2030 तक वार्षिक बिक्री के प्रतिशत के रूप में 30 प्रतिशत ईवी प्रवेश दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है. भारत ने पहले ही PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव) योजना के तहत 40 गीगावाट घंटा इंटीग्रेटेड बैटरी कैपेसिटी आवंटित की है, शेष 10 गीगावाट घंटा जल्द ही आवंटित किए जाने की उम्मीद है.

लिथियम-आयन बैटरी स्टोरेज

इसके अतिरिक्त, भारत में मौजूदा पारंपरिक बैटरी निर्माता और कुछ अन्य कंपनियों से योजना के बाहर बैटरी क्षमता स्थापित करने की उम्मीद है.

केयरएज रेटिंग्स के निदेशक हार्दिक शाह ने कहा कि भारत में लिथियम-आयन बैटरी स्टोरेज की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से ईवी और रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज से जुड़ी जरूरतों की ओर माइग्रेशन से जुड़ी है.

इसके परिणामस्वरूप, भारत में गीगा-साइज इंटीग्रेटेड बैटरी कैपेसिटी आने के कारण, आयात पर भारत की निर्भरता वर्तमान में लगभग पूर्ण निर्भरता से वित्त वर्ष 27 तक तेजी से घटकर 20 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है.

-भारत एक्सप्रेस

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