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भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 400% वृद्धि, 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि की संभावना है और यह अनुमान है कि 2033 तक यह $44 बिलियन तक पहुंच जाएगी.

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भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि की संभावना है और यह अनुमान है कि 2033 तक यह $44 बिलियन तक पहुंच जाएगी, जैसा कि FICCI-EY रिपोर्ट में बताया गया है. वर्तमान में, 2022 में यह $8.4 बिलियन थी, और आने वाले दशक में यह 400% वृद्धि के साथ वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का 8% हिस्सा बनने का लक्ष्य रखती है.

भारत की अंतरिक्ष उद्योग में तेजी से हो रही प्रगति के कारण यह क्षेत्र अब वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है, और इसमें उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरिक्ष अन्वेषण और निजी क्षेत्र की भागीदारी जैसी तकनीकी प्रगति शामिल हैं.

भारत की अंतरिक्ष उद्योग में नई संभावनाएं

भारत की अंतरिक्ष उद्योग में तेजी से विकास हो रहा है और इसके साथ ही इस क्षेत्र में स्टार्टअप्स की भागीदारी भी बढ़ रही है. इसके साथ ही सरकार की पहल जैसे “भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023” ने अंतरिक्ष में वाणिज्यिकरण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है. इस वृद्धि से न केवल अंतरिक्ष क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि हजारों नए रोजगार अवसर भी उत्पन्न होंगे, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी. भारत का अंतरिक्ष अभियान अब पहले से कहीं अधिक उज्जवल दिख रहा है.

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार

FICCI-EY रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2033 तक $44 बिलियन तक पहुंचने का लक्ष्य रखती है. 2022 में यह मात्र $8.4 बिलियन थी, जो कि एक महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले दशक में भारत की अंतरिक्ष क्षमताएँ नई दिशा में बढ़ेंगी, और इसका मुख्य कारण निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी और वैश्विक सहयोग है.

भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 ने इस विकास के लिए एक मजबूत नींव रखी है, जो वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रही है.

उपग्रह संचार का महत्वपूर्ण योगदान

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देने वाले क्षेत्रों में से एक उपग्रह संचार होगा. रिपोर्ट के अनुसार, 2033 तक यह क्षेत्र अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में $14.8 बिलियन का योगदान देगा. डॉ. पवन गोएंका, चेयरपर्सन, IN-SPACe ने इस विषय पर कहा कि “उपग्रह संचार भारत की डिजिटल यात्रा के लिए केंद्रीय है, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में.” भारत ने लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) और मीडियम अर्थ ऑर्बिट (MEO) उपग्रहों के उपयोग से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में सुधार करने की योजना बनाई है.

यह तकनीकी प्रगति राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे “डिजिटल इंडिया” और “भारतनेट” के साथ मेल खाती है, जो देश के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं.

निजी क्षेत्र और वैश्विक साझेदारी से भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में वृद्धि

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक निजी क्षेत्र की भागीदारी होगी. डॉ. पवन गोएंका ने इस पर जोर देते हुए कहा, “भारत की अंतरिक्ष उद्योग अब एक सरकारी-केन्द्रित मॉडल से बदलकर एक वाणिज्यिक रूप से संचालित, नवाचार-प्रधान पारिस्थितिकी तंत्र में बदल रहा है.”

इस परिवर्तन की शुरुआत हो चुकी है, और इसके उदाहरण के रूप में “अर्थ ऑब्जर्वेशन प्रेपरेटर प्रोग्राम (EOPP)” दिया जा सकता है, जो निजी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह उपग्रह कृषि और आपदा प्रबंधन जैसे उद्योगों के लिए आवश्यक डेटा प्रदान करेंगे.

इसके अलावा, डॉ. ए.एस. किरण कुमार, पूर्व ISRO अध्यक्ष ने कहा, “वैश्विक साझेदारियाँ और निजी क्षेत्र का नवाचार भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.” निजी निवेश और रणनीतिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ाएंगे.

-भारत एक्सप्रेस



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