

India-Pakistan Economy: एक समय था जब पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय भारत से अधिक थी, लेकिन आज वह भारत का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है. पिछले 25 वर्षों में भारत ने आर्थिक, सामाजिक और रक्षा क्षेत्रों में पाकिस्तान को बहुत पीछे छोड़ दिया है, जबकि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देकर कंगाली के कगार पर पहुंच गया है.
किसी भी देश की प्रगति के लिए उसकी अर्थव्यवस्था का मजबूत होना जरूरी है. पिछले 25 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था ने तेजी से प्रगति की और आज यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की तैयारी में है. दूसरी ओर, पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देने में व्यस्त रहा, जिसके चलते उसकी अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई.
आर्थिक तुलना (2000-2025)
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) – 2000:
- भारत: $468 बिलियन (विश्व रैंकिंग 13वीं)
- पाकिस्तान: $74 बिलियन (विश्व रैंकिंग 45वीं)
प्रति व्यक्ति आय (2000)
- भारत: $442
- पाकिस्तान: $733 (पाकिस्तान की आय भारत से अधिक थी)
2025 में स्थिति
- भारत: $4 ट्रिलियन (विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था)
- पाकिस्तान: $386 बिलियन (विश्व रैंकिंग में बहुत पीछे)
प्रति व्यक्ति आय (2025)
- भारत: $11,110
- पाकिस्तान: $6,720
विदेशी मुद्रा भंडार
- 2000: भारत ($38 बिलियन), पाकिस्तान ($1.3 बिलियन)
- 2025: भारत ($686.14 बिलियन), पाकिस्तान ($15 बिलियन) – भारत का भंडार 45 गुना अधिक.
मुद्रा मूल्य
- 2000: 1 USD = 45 INR, 12 PKR (पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू अधिक)
- 2025: 1 USD = 84.54 INR, 280.82 PKR (पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू गिरी)
सामाजिक और आर्थिक संकेतक
बेरोजगारी और गरीबी
- भारत: 2000 में बेरोजगारी 7.3%, 2025 में 4.9%; अत्यधिक गरीबी 2.3% (171 मिलियन लोग गरीबी से बाहर)
- पाकिस्तान: 2018 में बेरोजगारी 4.5%, 2025 में 6-8%; अत्यधिक गरीबी 42.4%
शेयर बाजार
- भारत: मार्केट कैप $4 ट्रिलियन, 10 वर्षों में 180% रिटर्न
- पाकिस्तान: मार्केट कैप $100 बिलियन से कम, 10 वर्षों में 35-40% रिटर्न
रक्षा बजट (2025)
- भारत: $81 बिलियन
- पाकिस्तान: $10 बिलियन (भारत का 8 गुना)
आर्थिक वृद्धि दर
- भारत: 6-7% वार्षिक
- पाकिस्तान: 3-4%
पाकिस्तान की बर्बादी के कारण
पाकिस्तान की आर्थिक गिरावट के कई कारण हैं-
- नीतिगत असफलताएं और राजनीतिक अस्थिरता: बार-बार सैन्य तख्तापलट और अस्थिर सरकारें.
- आतंकवाद को समर्थन: आतंकी संगठनों को पनाह देने की नीति ने विदेशी निवेश को रोका.
- कर्ज का बोझ: 2025 में पाकिस्तान का कर्ज GDP का 91%, जबकि भारत का 64%. IMF, विश्व बैंक और चीन से भारी कर्ज ने स्थिति बिगाड़ी.
- उद्योगों का पतन: कारोबारी देश छोड़ रहे हैं, जबकि भारत ने मैन्युफैक्चरिंग और टेक में निवेश आकर्षित किया.
- शिक्षा में पिछड़ापन: भारत की साक्षरता दर 80%, पाकिस्तान की 60% से कम.
भारत की प्रगति
भारत ने 1991 में आर्थिक उदारीकरण शुरू किया, जिससे व्यापार बाधाएं कम हुईं, विदेशी निवेश बढ़ा, और निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिला. शिक्षा और कौशल विकास में निवेश से भारत ने विशाल कार्यबल तैयार किया. इसके विपरीत, पाकिस्तान की नीतियों ने उसे आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर किया. आज भारत वैश्विक मंच पर विश्वसनीयता और ताकत का प्रतीक है, जबकि पाकिस्तान कंगाली और अस्थिरता से जूझ रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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