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Go Frist ने इनसॉल्वेंसी के नाम पर किया है फ्रॉड? NCLT ने मंजूर की Delhivery की याचिका

कंपनी ने एयरलाइन्स पर आरोप लगाया है कि गो फर्स्ट ने सिर्फ अपने कर्जदाताओं को पैसा न देना पड़े इसके लिए इन्सॉल्वंसी के लिए फाइल किया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Go First Insolvency : गो फर्स्ट एयरलाइंस की  मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं. लॉजिस्टिक्स कंपनी डेल्हीवेरी (Delhivery) ने गो फर्स्ट (Go First) एयरलाइंस के ऊपर दिवालिया प्रक्रिया का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हे याचिका दायर की थी. अब NCLT ने डेल्हीवेरी (Delhivery) की याचिका को मंजूरी दे दी है. NCLT ने एयरलाइंस को इस मामले पर 2 सप्ताह के अंदर जवाब देने के लिए कहा है,.

क्यों लगाया डेल्हीवेरी (Delhivery) ने गो फर्स्ट (Go First) पर आरोप-

डेल्हीवरी का कहना है कि गो फर्स्ट ने जानबूझकर उससे पैसे लिए हैं, जबकि एयरलाइन्स को पता था कि वो स्वैच्छिक दिवालिया प्रक्रिया के लिए फाइल करने वाले हैं और वो कभी भी सेवाओं  पूरा नहीं कर पाएंगे.

दरअसल गो फर्स्ट ने 2 मई को डेल्हीवरी कंपनी ने कार्गो की सेवाओं के लिए 2020 में हुए कांट्रैक्ट के आधार पर कंपनी से 57 लाख रुपए लिए. डेल्हीवरी का कहना है कि जब कंपनी जानती थी कि उन्हें दिवालिया प्रकिया के लिए जाना है तो ऐसे में डेल्हीवरी से इतनी बड़ी रकम लेना एयरलाइन्स के धोखे को दिखाता है.

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डेल्हीवरी ने एयरलाइन्स पर आरोप लगाया है कि उनका मकसद कानूनी प्रक्रिया का गलत फायदा उठाना है. उन्होने अपने कदम से डेल्हीवरी को नुकसान पहुंचाया है.

याचिका में कहा गया है कि एयरलाइन्स को 28 अप्रैल को अपने वित्तीय हालात का अहसास था और उन्होने इनसॉल्वेंसी के लिए पेपर तैयार करने शुरू कर दिये थे. और 30 अप्रैल को दिवालिया प्रक्रिया के लिए एक स्पेशल प्रपोजल भी तैयार किया था. इसके बावजूद कंपनी ने 2 मई को डेल्हीवरी से 57 लाख रुपए की रकम ली.

कर्ज न चुकाने के लिए उठाया इन्सॉल्वेंसी का कदम-

डेल्हीवरी का कहना है कि कंपनी ने गलत तरीके से जानबूझकर उनसे पैसे ऐंठे हैं. इसके साथ ही कंपनी ने एयरलाइन्स पर आरोप लगाया है कि गो फर्स्ट ने सिर्फ अपने कर्जदाताओं को पैसा न देना पड़े इसके लिए इन्सॉल्वंसी के लिए फाइल किया है. इन्सॉल्वेंसी स्टेटस मिलने पर कर्जदार अपना कर्ज वापस पाने के लिए  लीगल स्टेप नहीं उठा सकते हैं. एयरलाइन के इस कदम को डेल्हीवरी ने कानून का दुरूपयोग कर कानून का गला घोंटने जैसा बताया है.

 क्या होगा आरोप साबित होने पर –

NCLT ने एयरलाइन्स को 24 जून से पहले जवाब देने के कहा है. अगर कंपनी पर आरोप साबित हो जाता है, तो इन्सॉल्वेंसी और बैंक्रप्ट्सी कोड के सेक्शन 65 के तहत धोखाधड़ी करने के आरोप में गो फर्स्ट एयरलाइन पर 1 लाख से ​​1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

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