पीएम मोदी.
हरियाणा (haryana) में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. इसको लेकर गुरुवार को चुनाव प्रचार का शोर थम गया. अब पार्टियों के नेता सीधा घर-घर जाकर जनता से संपर्क स्थापित करेंगे. चुनाव के नतीजे भी 8 अक्तूबर को घोषित हो जाएंगे. ऐसे में सभी दलों ने हरियाणा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी.
बीजेपी-कांग्रेस के बीच टक्कर
हरियाणा में चुनाव प्रचार जोरों पर रहा. ऐसे में पक्ष-विपक्ष के बीच खूब जुबानी जंग भी चली. वहीं, पार्टियों के भीतर की अंतर्कलह भी खुलकर सामने आई. प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी. लेकिन, आम आदमी पार्टी (आप) की एंट्री के साथ पूरा चुनाव बदला सा नजर आ रहा है. वहीं, इस चुनाव में एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए तमाम दलों ने अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार रखा था.
कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जहां पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथों में थामे थे. वहीं, भाजपा की तरफ से तमाम दिग्गज नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए मैदान में उतरे थे.
इस सबके बीच पूरे चुनाव कैंपेन के दौरान हरियाणा (haryana) कांग्रेस कई खेमों में बंटी नजर आई. पार्टी के दिग्गज नेता रणदीप सुरजेवाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा आपस में टकराते नजर आए. हालांकि, मीडिया के सामने वह एकजुटता दिखाते भी नजर आए. कांग्रेस यहां पूरे चुनाव प्रचार के दौरान किसानों की नाराजगी, महिला पहलवानों के उत्पीड़न, अग्निवीर का विरोध और संविधान बचाओ के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कैंपेन करती रही और जनता के अपने पक्ष में होने का दावा भी लगातार करती रही.
बीजेपी ने बनाया मुद्दा
दूसरी तरफ बीजेपी ने हरियाणा(haryana) में 14 साल पहले मिर्चपुर और 18 साल पहले गोहाना में हुए दलित उत्पीड़न को मुद्दा बनाने का प्रयास किया. इसका जिक्र पीएम मोदी ने अपनी एक रैली के दौरान किया और कांग्रेस को दलित विरोधी बता दिया. ऐसे में कांग्रेस के लिए यह परेशानी का कारण बन गई है. पीएम मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक के पीछे की वजह कई हैं.
बीजेपी ने इसके अतिरिक्त खर्ची पर्ची, परिवारवाद और जमीन कब्जा आदि को भी यहां मुद्दा बनाया, लेकिन चर्चा के केंद्र में तो मिर्चपुर और गोहाना ही है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी हिसार और पलवल की रैलियों में मिर्चपुर कांड का जिक्र किया तो पता चल गया कि बीजेपी इस मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है.
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गोहाना और मिर्चपुर कांड का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के राज में दलित बेटियों के साथ अन्याय हुआ, तब कांग्रेस चुप रही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दलितों पर जो अत्याचार किया है, उसे समाज कभी भी भूल नहीं सकता. पीएम मोदी से पहले गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मुख्यमंत्री नायब सैनी भी मिर्चपुर की इस घटना का जिक्र अपने चुनावी भाषणों में कर चुके थे.
क्या है मामला?
हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में ही 2005 में गोहाना और 2010 में मिर्चपुर कांड हुआ था. 2005 में सोनीपत के गोहाना में अंतरजातीय हिंसा के एक मामले में दलितों के 50 घर जला दिए गए थे. वहीं, 2010 में मिर्चपुर में दलितों के एक दर्जन से अधिक घर जला दिए गए थे, इस घटना के दौरान एक बच्ची और 70-वर्षीय व्यक्ति की जलकर मौत हो गई थी.
दरअसल, भाजपा नेताओं ने जैसे ही इन दोनों कांडों को जनता के सामने रखा, सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के नेताओं के अंदर इस बात को लेकर बातचीत शुरू हो गई थी कि कहीं कांग्रेस का दलित वोट बैंक खिसककर भाजपा के पाले में ना चला जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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