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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हैं और वीआईपी सीट पर पूरी जोरअजमाइश कर रहे हैं. सबसे ज्यादा ध्यान वाराणसी लोकसभा सीट पर है क्योंकि यहां से पीएम मोदी दो बार सांसद रह चुके हैं और केंद्र की सत्ता सम्भाली तो वहीं तीसरी बार भी वह इसी लोकसभा सीट से मैदान में फिर उतरे हैं. तो दूसरी ओर उनके खिलाफ विपक्षी दल सोच-समझकर कदम बढ़ा रहे हैं. इस सीट पर जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन के तहत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को मैदान में उतारा गया है तो वहीं सपा छोड़कर बसपा में शामिल हुए 66 वर्षीय अतहर जमाल लारी को मायावती ने उतारा है.
ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर मायावती किसके वोटों में सेंध लगा रही हैं? बता दें कि यूपी से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में लारी के नाम अतहर जमाल प्रसिद्ध हैं. वह रविवार को ही सपा छोड़कर बसपा में शामिल हुए और कुछ घंटे बाद उन्हें वाराणसी से बसपा ने टिकट दे दिया. लारी राजनीतिक दलों का लंबा अनुभव रखते हैं और मुस्लिम समाज (अल्पसंख्यक वर्ग) में उनकी अच्छी पहचान है. वह जनता दल के पूर्व प्रदेश महासचिव, अपना दल के राष्ट्रीय प्रभारी और कौमी एकता दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके हैं. वह 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं. उनको पूर्वांचल का चर्चित चेहरा माना जाता है.
अखिलेश की बढ़ी टेंशन
माना जा रहा है कि सपा से बागी होकर पार्टी छोड़ने वाले लारी अखिलेश को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के नाम पर राजनीति करने वाली सपा को यहां भारी नुकसान हो सकता है. यहां से अजय राय को गठबंधन के तहत उतारा गया है. माना जा रहा है कि काफी हद तक अजय राय को हिंदू वोट मिल जाएंगे क्योंकि वह हिंदुवादी चेहरा हैं और पूर्वांचल की राजनीति में उनका अच्छाखासा अनुभव है लेकिन मुस्लिम समाज लारी के आने से सपा से छिटक सकता है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मायावती के इस खेल से पीएम मोदी को कोई नुकसान हो या न हो लेकिन अखिलेश को बहुत नुकसान हो सकता है. लारी सपा के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं. हालांकि अभी तक इस सीट पर बसपा की जीत नहीं हुई है. 2014 में बसपा यहां से चौथे नम्बर पर थी. तब बसपा प्रत्याशी विजय प्रकाश जयसवाल को एक लाख से भी कम वोट मिले थे. तो वहीं पीएम मोदी की बड़े अंतर से जीत हुई थी. फिलहाल देखना ये है कि लारी मायावती की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं और वो किसके वोट काटने में सफल होते हैं?
-भारत एक्सप्रेस