Big Girls Don't Cry
Big Girls Don’t Cry Review: वेब सीरीज प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है. यह वेब सीरीज स्कूल और कॉलेज लाइफ बच्चों की जिंदगी का ऐसा हिस्सा होता है, जिसमें वह अपने आगे की जिंदगी का फैसले लेते हैं. उनकी संगत, लाइफस्टाइल, पढ़ाई, दोस्त, करियर, अध्यापक जैसे कई व्यक्ति उनकी जिंदगी में अहम रोल अदा करते हैं. लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो कहीं न कहीं पेरेंट्स यह सोच लेते हैं कि अब वह खुद तय कर सकते हैं कि उनके लिए कौन सी चीज सही है और कौन सी गलत? यह एक बहुत बड़ा सवाल है.
प्राइम वीडियो की सीरीज ‘बिग गर्ल्स डोंट क्राई’ वैसे तो लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल की जिंदगी पर आधारित है, जिसमें रिश्तों के कई रंग देखने को मिलेंगे, लेकिन यह सीरीज शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रहने में पूरी तरह से असफल रही है. सीरीज में बस चेरिन पॉल और कबीर तेजपाल की सिनेमैटोग्राफी देखने लायक है. परमिता घोष और दीपिका कालरा का संपादन बहुत ही कमजोर है, प्रत्येक एपिसोड को कम से कम 10 मिनट कम किया जा सकता है.
कॉलेज लाइफ पर आधारित हैं ये वेब सीरीज
कॉलेज में बच्चे उम्र के जिस पड़ाव पर पहुंचते हैं, उनके जिंदगी का यह बड़ा ही अहम पड़ाव होता है. बनने और बिगड़ने की यही उम्र होती है. इस उम्र में बच्चों को सही मार्गदशर्शन अगर ना मिले तो उनके बिगड़ने के मौके सबसे ज्यादा होते हैं. चाहे वह सही मार्गदर्शन उनके माता- पिता या फिर शिक्षक से मिले या किसी और से. फिल्म ‘बार बार देखो’ और वेब सीरीज ‘मेड इन हैवन’ का निर्देशन कर चुकी नित्या मेहरा ने इस शो का निर्देशन सुधांशु सरिया, करण कपाड़िया और कोपल नैथानी के साथ मिलकर किया है.
नित्या मेहरा खुद भी देहरादून में बोर्डिंग स्कूल वेल्हम गर्ल्स स्कूल में पढाई कर चुकी हैं. उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर इस सीरीज को सुधांशु सरिया,राधिका मल्होत्रा,सुनयना कुमारी और अदवितिया केरेंग दास के साथ मिलकर लिखा है, लेकिन इस विषय के साथ पूरी तरह से न्याय करने में सफल नहीं रही. इस विषय पर बहुत ही खूबसूरत सीरीज बनाई जा सकती थी.
सीरीज की कहानी इस सोच के साथ आगे बढ़ती है कि खरगोश अपनी परछाई के साथ -साथ आगे बढ़ता है और कुएं में गिर जाता है, जहां से उसे खुद ही बाहर निकलना है. सीरीज में दिखाए गए लड़कियों की कहानी भी ऐसी हैं, जिसकी जैसी सोच उसी के हिसाब से आगे बढ़ती है, लेकिन जब मुश्किल में फंसती है तो खुद को अकेला ही पाती है. इस सीरीज में इस बात पर जोर दिया गया है कि खुद को पहचानो और उस हिसाब से अपने करियर को प्लान करो, लेकिन इस सीरीज में सेक्स, कंडोम के फ्लेवर और समलैंगिकता को लेकर लड़कियों के रुझान को जिस तरह से दिखया है वह अप्रांसगिक लगता है.
इस सीरीज में पूजा भट्ट ने कॉलेज की प्रिंसिपल की भूमिका निभाई है, काफी हद तक उन्होंने अपनी भूमिका के साथ न्याय करने की कोशिश की है, लेकिन उनसे और भी बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद की जा सकती है. डॉली के माता – पिता की भूमिका में राइमा सेन और मुकुल चड्ढा का भी परफॉर्मेंस सामान्य है. वंदना वैली गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों की भूमिका में अवंतिका वंदनपु, अनीत पड्डा, अक्षिता सूद, दलाई, विदुषी, तेनजिन लाकीला और अफरा सैयद में से किसी ने भी अपने परफॉर्मेंस से प्रभावित नहीं किया है. इस फिल्म में वैसे तो आठ गीत हैं, लेकिन ‘बिग गर्ल्स डोंट क्राई’ के टाइटल ट्रैक और ‘एकला चलो’ के अलावा बाकी गीत प्रभावित नहीं करते हैं. अन्विता दत्त के लिखे टाइटल ट्रैक के संगीत की रचना अमित त्रिवेदी ने की है और इस गीत को खुद ही सिंगर माली के साथ गाया है. वहीं, हुसैन हैदरी के लिखे गीत ‘एकला चलो’ के संगीतकार कनिष्क सेठ है और इस गीत को गायिका हनीता भांबरी ने गाया है.
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