नरेंद्र चंचल.
‘चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है’ हो या ‘अम्बे तू है जगदम्बे काली’ भजन या फिर ‘दो घूंट पिला दे साकिया’ जैसे गाने. इन्हें आवाज दी है भारत के मशहूर गायकों में शुमार नरेंद्र चंचल ने, जिन्होंने न केवल हिंदी फिल्मों के लिए कई सुपरहिट गाने गाए बल्कि उन्होंने अपने गाए भजनों के जरिये ‘भजन सम्राट’ का खिताब भी हासिल किया.
नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर के एक पंजाबी परिवार में हुआ. बताया जाता है कि वे एक धार्मिक माहौल में पले-बढ़े. इसी से उन्हें भजन और आरती गाने की प्रेरणा मिली. इस दौरान उन्होंने धार्मिक गीतों और भजनों को गाना शुरू कर दिया.
1973 में पहला ब्रेक
कई सालों के संघर्ष के बाद भजन सम्राट को पहला बड़ा ब्रेक साल 1973 में आई फिल्म ‘बॉबी’ से मिला. इस फिल्म में उन्होंने ‘बेशक मंदिर मस्जिद’ गाना गाया, जिसे खूब सराहा गया और इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड भी मिला. इसके अलावा उन्होंने साल 1974 में आई ‘बेनाम’ फिल्म के लिए ‘मैं बेनाम हो गया’ गीत गाया. इसी साल उन्होंने ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में ‘बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई’ गाने को अपनी आवाज दी.
अपनी आवाज से लोगों के दिलों पर राज करने वाले नरेंद्र चंचल ने फिल्म ‘आशा’ (1980) में ‘तूने मुझे बुलाया शेरा वालिए’ गीत गाया, जो उस समय काफी हिट हुआ. इसके बाद उन्होंने 1983 में आई फिल्म ‘अवतार’ के लिए भजन ‘चलो बुलावा आया है’ गाया. यह भजन भी लोगों की जुबान पर चढ़ गया.
कामयाबी का परचम
भजन सम्राट की लोकप्रियता में इजाफा होने लगा और उन्हें एक के बाद एक बड़े प्रोजेक्ट मिलने लगे. उन्होंने 1985 में आई फिल्म ‘काला सूरज’ के लिए ‘दो घूंट पिला दे’ और 1994 में आई फिल्म ‘अनजाने’ के लिए ‘हुए हैं कुछ ऐसे वो हमसे पराए’ गाने को अपनी आवाज दी.
80 का दशक आते-आते नरेंद्र चंचल ने कामयाबी का परचम लहरा दिया था. उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि हर कोई उनसे गाना गंवाना चाहता था. चाहे वह शोमैन राज कपूर हो या फिर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन.
मां वैष्णो देवी में आस्था
नरेंद्र चंचल ने ‘मिडनाइट सिंगर’ नाम से अपनी बायोग्राफी भी जारी की, जिसमें उनके जीवन और कठिनाइयों पर बात की गई है. उनकी मां वैष्णो देवी में भी आस्था थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे हर साल वैष्णो देवी जाते थे और वहां परफॉर्म करते थे. भजन सम्राट नरेंद्र चंचल ने 22 जनवरी, 2021 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उन्होंने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली थी.
-भारत एक्सप्रेस