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अपने कॉलेज की लड़कियों का MMS बनाती थी 3 छात्राएं; पुलिस ने बताई सच्चाई, ‘अजमेर 92’ जैसे बड़े सेक्स स्कैंडल से हो रही है तुलना

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने 1992 के कुख्यात अजमेर सेक्स स्कैंडल के साथ इस घटना की तुलना की है, जिसमें सैकड़ों स्कूल जाने वाली और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को नग्न अवस्था में ब्लैकमेल किया गया था.

Udupi MMS Case ( प्रतीकात्मक तस्वीर)

Udupi MMS Case ( प्रतीकात्मक तस्वीर)

Udupi MMS Case: कर्नाटक के उडुपी में 20 जुलाई को एक निजी पैरामेडिकल कॉलेज की तीन महिला छात्रों को वॉशरूम के अंदर मोबाइल फोन का उपयोग करके एक साथी छात्र का वीडियो बनाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. संस्थान ने उसी दिन पुलिस को सूचित किया और जांच शुरू की गई. लेकिन इस घटना ने अगले कुछ दिनों में एक गंभीर सांप्रदायिक मोड़ ले लिया. कई दक्षिणपंथी समूहों ने आरोप लगाया है कि निलंबित छात्र मुस्लिम है, जिसने “हिंदू लड़कियों” के निजी वीडियो शूट करने के लिए हिडन कैमरों का इस्तेमाल किया. मामले में पुलिस ने 2 केस दर्ज किया है.

वीडियो शूट करके अपने बॉयफ्रेंड को भेज रही थी लड़कियां!

बता दें कि हिडन कैमरे से वीडियो शूट करके तीनों लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड को भेजती थी. उसके बाद इन लड़कियों को ब्लैकमेल किया जाने लगा. एक के बाद एक लड़कियों के अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने लगी. बाद में जब हकीकत सामने आई तो इस लड़की और इसके बॉयफ्रेंड और उसके दोस्तों को गिरफ्तार किया गया. कॉलेज ने कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपी लड़कियों को बर्खास्त कर दिया है.

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उडुपी पुलिस ने की अफवाह न फैलाने की अपील

उडुपी के पुलिस अधीक्षक हाके अक्षय मच्छिन्द्र ने बताया, “इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग गलत सूचना और अफवाहें साझा कर रहे हैं. शायद, वे किसी मकसद से ऐसा कर रहे हैं. मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि हालांकि ऐसी खबरें थीं कि हिडन कैमरे लगाए गए थे, लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार, इस मामले में ऐसी किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया था.” उन्होंने कहा, “इस संबंध में मामला दर्ज करने के लिए कोई सुराग उपलब्ध नहीं है. कथित लड़कियों के मोबाइल में कोई फोटो या वीडियो उपलब्ध नहीं है. कॉलेज के नियमों के अनुसार उनसे पूछताछ की गई है. लड़कियों ने दावा किया है कि उन्होंने मनोरंजन के लिए ऐसा किया है.”

‘अजमेर 92’ से उडुपी केस की तुलना

संस्थान के निदेशक के अनुसार, आरोपियों को दो कारणों से निलंबित किया गया था. पहला, वे कॉलेज में मोबाइल फोन लाए थे, जिस पर प्रतिबंध है, और दूसरा, उन्होंने इसका इस्तेमाल वॉशरूम में वीडियो फिल्माने के लिए किया था. हालांकि, सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि ये लड़कियां वीडियो बनाने के बाद उसे मुस्लिम युवकों को भेजती थी. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने 1992 के कुख्यात अजमेर सेक्स स्कैंडल के साथ इस घटना की तुलना की है, जिसमें सैकड़ों स्कूल जाने वाली और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को नग्न अवस्था में ब्लैकमेल किया गया था. तस्वीरें खींची गईं और अल्पसंख्यक समुदाय के पुरुषों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया.

-भारत एक्सप्रेस

 

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