
बस्तर, छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित इलाकों में पहली बार इस गणतंत्र दिवस पर तिरंगा लहराया गया. ये वो गांव हैं, जो पिछले दो दशकों से माओवादी हिंसा की चपेट में थे, जिसका नेतृत्व कुख्यात माओवादी नेता हिडमा करता था. इन इलाकों में अब तक गणतंत्र दिवस पर तिरंगे की जगह माओवादियों के लगाए काले झंडे दिखते थे.
बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज ने बताया, “यह पहली बार है जब इन गांवों में गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. इन इलाकों में 14 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं. इनमें से 5-5 कैंप बीजापुर और सुकमा जिलों में हैं, जबकि 4 नारायणपुर जिले में बनाए गए हैं.”
तर्रेम-पामेड़ में अब सुरक्षाबलों का नियंत्रण
तर्रेम और पामेड़ इलाके पहले माओवादी हिंसा का केंद्र माने जाते थे, अब सुरक्षाबलों के नियंत्रण में आ चुके हैं. यहां अगस्त महीने में कोनडापल्ली, जिडपल्ली, वाटेवागु और करेंगट्टा जैसे इलाकों में नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए.
आईजी सुंदरराज ने कहा, “इन इलाकों के लोगों ने पहले कभी तिरंगा लहराते हुए नहीं देखा. अब यहां पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा.” तर्रेम-पामेड़ का 45 किलोमीटर लंबा इलाका, जो पहले माओवादी प्लाटून 1 के नियंत्रण में था, अब कई सुरक्षा कैंपों से घिरा हुआ है.
पुवर्ती गांव में लहराया था तिरंगा
पिछले साल पुलिस ने माओवादियों को बड़ा झटका दिया था, जब हिडमा के गांव पुवर्ती में पहली बार तिरंगा फहराया गया था. अब गणतंत्र दिवस के इस खास मौके पर बस्तर के 30 से ज्यादा गांवों में पहली बार तिरंगा लहराया जाएगा. ये सभी इलाके कभी माओवादियों का गढ़ माने जाते थे.
हालांकि, इन इलाकों में सड़कों का निर्माण अभी जारी है, लेकिन मौजूदा सड़कों के जरिए सुरक्षा कैंप स्थापित करने में मदद मिली है. गणतंत्र दिवस पर इन गांवों में तिरंगा फहराना प्रशासन और सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी है.
-भारत एक्सप्रेस
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