Political Kissa: 33 साल पहले यानी 1991 में 6 मार्च को देश के आठवें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने एक झटके में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने से लेकर इस्तीफा देने तक की कहानी बेहद दिलचस्प है. साल 1989 में जब केंद्र में जनता दल की सरकार बनी, उस वक्त पीएम बनने वालों की लिस्ट में चंद्रशेखर का भी नाम शामिल था.
हालांकि, उस वक्त वीपी सिंह का पलड़ा भारी पड़ा. सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए देवी लाल और अरुण नेहरू जैसे दिग्गज नेताओं ने गोलबंदी शुरू कर दी थी और चंद्रशेखर को इस बात की भनक तक न लगी. हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद वीपी सिंह अपनी सरकार को अधिक दिनों तक चला नहीं सके थे. लिहाजा महज 11 महीने के अंदर उनकी सरकार गिर गई, जिसके बाद चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने.
प्रधानमंत्री के तौर पर चंद्रशेखर का चुनाव क्यों और कैसे हुआ, इसे जानने से पहले एक नजर इस बात पर डालते हैं कि आखिर वीपी सिंह की सरकार गिरी कैसे? दरअसल उस वक्त मंडल कमीशन को लेकर देश में सियासी भूचाल आया हुआ था. विरोध की ज्वाला इतनी तेज थी कि बीजेपी ने भी वीपी सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. हालांकि, कुछ लोग उनकी सरकार गिरने के पीछे दो वजह बताते हैं.
पहली वजह यह थी कि जनता दल में आपसी मतभेद था और दूसरा कारण राजीव गांधी ने चंद्रशेखर के कंधों पर हाथ रख दिया था. जिसके बाद चंद्रशेखर के समर्थन में 64 सांसद आ गए थे. वहीं लाल कृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. परिणामस्वरूप सरकार अल्पमत में आ गई. राजीव गांधी के समर्थन के साथ ही 64 सांसदों ने भी चंद्रशेखर से कहा कि अब सरकार बनाने का दावा पेश किया जाए. फिर क्या था? 10 नवंबर 1990 को भारत के 8वें प्रधानमंत्री के तौर पर चंद्रशेखर ने शपथ ली.
चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उनके काम में कांग्रेस ने हस्तक्षेप करना शुरू किया तो उन्होंने ऐसा करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. कांग्रेस नेतृत्व और चंद्रशेखर के बीच खींचतान के बीच कांग्रेस पार्टी की ओर से आरोप लगाए गए कि चंद्रशेखर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जासूसी कराई है. मतभेद और गहराने के बाद कांग्रेस ने चंद्रशेखर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था.
सरकार के अल्पमत में आने के बाद आखिरकार चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
हालांकि, राजीव गांधी ने बाद में कोशिश की थी कि वे अपना इस्तीफा वापल ले लें. इसके लिए शरद पवार को चंद्रशेखर के पास भेजा गया. शरद पवार के कहने पर चंद्रशेखर आग बबूला हो गए और उनको कहा, ‘आप प्रधानमंत्री के पद का इस तरह मजाक कैसे उड़ा सकते हैं? जाओ उनसे (राजीव गांधी) कह दो चंद्रशेखर दिन में तीन बार अपने विचार नहीं बदलता’. इस तरह चंद्रशेखर ने 6 मार्च 1991 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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