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स्वाति मालीवाल मारपीट मामला: आरोपी विभव को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका, अदालत ने जमानत देने से किया इनकार, दिया ये तर्क

विभव कुमार के खिलाफ आरोप है कि उसने 13 मई को मुख्यमंत्री केजरीवाल के सरकारी आवास पर मालीवाल पर हमला किया था.

vibhav Kumar

केजरीवाल के पूर्व पीए विभव कुमार.

आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली के पूर्व महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोप में गिरफ्तार विभव कुमार को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने विभव कुमार की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि विभव कुमार का रुतबा बड़ा था. जमानत देने से सबूतों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है. गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है. मामले में अभी जांच चल रही है. लिहाजा इस स्टेज पर जमानत देना सही नहीं होगा.

मामले की सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल की ओर से पेश वकील ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के कुछ दिन बाद 2 क्लिप जारी की गई थी और कमरे में कोई और नहीं था. एक क्लिप में वह पुलिस अधिकारी से किसी तरह की बहस करती हुई दिखाई दे रही हैं. इसपर कोर्ट ने कहा था कि आप कैसे कह सकते है कि इसमें (क्लिप) छेड़छाड़ की गई? इसके जवाब में मालीवाल के वकील ने कहा क्योंकि क्लिप में कुछ संकेत हैं, जो दिखाते हैं कि उन्हें बदल दिया गया है. एक दर्जन से अधिक पार्टी पदाधिकारी उनके समर्थन में सामने आए और शिकायतकर्ता को दोषी ठहराया. वकील ने स्वाति मालीवाल को भेजी जा रही धमकियों के बारे में दलीलें दी.

कोर्ट ने कहा था कि अभी तक धमकियों का पता याचिकाकर्ता से नहीं लगाया जा सका है, हम समझते हैं कि इसकी जांच की जा रही है. विभव के वकील ने कहा था कि गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी के आधार और वजह आरोपी को नहीं बताया गया. गिरफ्तारी के आधार को लिखित में दर्ज करना होगा. अपराध प्रक्रिया की धारा 41 A के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है. विभव कुमार ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए मुआवजे की मांग की है. कहा है कि गिरफ्तार करते समय अपराध प्रक्रिया की धारा 41 A का पालन नहीं किया गया है. विभव कुमार फिलहाल पुलिस हिरासत में है. घटना 13 मई की है. दिल्ली पुलिस ने 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज किया था.

हालांकि दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय जैन ने कहा था कि उनकी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. अभियुक्त ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष गिरफ्तारी के दिशा-निर्देशों का पालन न करने का तर्क दिया और इसके लिए एक अलग आवेदन दायर किया गया था, जिसपर मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुंचे की आकस्मिक गिरफ्तारी के कारणों का उल्लेख किया गया था और इसलिए , 20 मई को एक आदेश दिया गया था. पारित हो गया है और इसका उल्लेख यहां नही किया गया है और इसे गंभीरता से लिया जाएगा.

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बता दें कि विभव कुमार ने मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में विभव कुमार ने जमानत की मांग करते हुए कहा है कि मेरी गिरफ्तारी अवैध है. विभव ने कहा है कि मुझे जबरदस्ती पुलिस कस्टडी में रखा गया है. उन्होंने जबरन कस्टडी में रखने के लिए मुआवजे की भी मांग की है. विभव कुमार के खिलाफ आरोप है कि उसने 13 मई को मुख्यमंत्री केजरीवाल के सरकारी आवास पर मालीवाल पर हमला किया था. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले तीस हजारी कोर्ट ने कुमार को 7 जून को जमानत देने से इनकार कर दिया था. उसने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं. ऐसी आशंका है कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. विभव कुमार की पहली जमानत याचिका 27 मई को एक अन्य सत्र अदालत ने खारिज कर दी थी. उनके खिलाफ प्राथमिकी 16 मई को दर्ज की गई थी.

-भारत एक्सप्रेस

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