AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी.
Asaduddin Owaisi ON CAA : लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है. सोमवार यानी कि 11 मार्च को केंद्र सरकार ने सीएए को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब इसपर सियासी घमासान शुरू हो गया है. AIMIM अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सीएए लागू कर सरकार मुस्लिमों को दोयम दर्जे का नागरिक घोषित करना चाहती है.
गोडसे की सोच पर आधारित है CAA- ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर की है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि ”आप क्रोनोलॉजी समझिए, पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे. सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस हैं. सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता था.”
“मुसलमानों को टारगेट करना इस कानून का उद्देश्य”
ओवैसी ने आगे लिखा, “सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है. एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को टारगेट करना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है.
Aap chronology samajhiye, pehle election season aayega phir CAA rules aayenge. Our objections to CAA remain the same. CAA is divisive & based on Godse’s thought that wanted to reduce Muslims to second-class citizens.
Give asylum to anyone who is persecuted but citizenship must…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 11, 2024
CAA के विरोध में हुए थे हिंसक प्रदर्शन
मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में देश के नागरिकता कानून में नए प्रावधान कर उसे संशोधित किया था. 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा द्वारा CAA पारित करने के बाद देश के कई हिस्सों में इस्लामिक संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया था. उत्तर प्रदेश, असम और केरल में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंसक विरोध किया. हालांकि, सरकार CAA को लागू करने पर दृढ़ थी.
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विपक्ष ने टाइमिंग पर उठाए सवाल
वहीं सीएए लागू होने के बाद कांग्रेस ने इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सीएए के जरिए लोकसभा चुनाव में ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है. सीएए आने से खासकर पश्चिम बंगाल और असम में ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश सत्ता पक्ष की ओर की गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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