(प्रतीकात्मक तस्वीर: IANS)
एड्स सोसायटी ऑफ इंडिया (ASI ) ने सरकार से आग्रह किया कि वह एचआईवी (HIV) से बचाव के लिए एचआईवी स्व-परीक्षण और प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PREP) दवा को बिना किसी देरी के अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में शामिल करे.
देश में एचआईवी से पीड़ित हर पांच में से एक व्यक्ति को अपनी एचआईवी स्थिति के बारे में पता नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एचआईवी देखभाल कैस्केड के हिस्से के रूप में एचआईवी स्व-परीक्षण की सिफारिश की है, क्योंकि यह 2019 में विशेष रूप से प्रमुख आबादी के बीच एचआईवी निदान में अंतराल को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है.
एमेरिटस एड्स सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, ”हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एचआईवी से पीड़ित 100 प्रतिशत लोगों को अपनी स्थिति का पता हो, ताकि उन्हें एचआईवी देखभाल सेवाओं का पूरा लाभ मिल सके और वे वायरस (Virus) से मुक्त रहें, जो उनके लिए पूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के साथ-साथ एड्स को समाप्त करने के लिए आवश्यक है.
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) की ‘संकल्पना रिपोर्ट 2023’ के पांचवें संस्करण के अनुसार, एचआईवी से पीड़ित 79 प्रतिशत लोग अपनी स्थिति के बारे में जानते हैं, उनमें से 86 प्रतिशत एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (Antiretroviral Therapy) पर हैं, और जिसमें 93 प्रतिशत में कमजोर लक्षण दिखे.
डॉ. गिलाडा ने दावा किया कि एचआईवी से संबंधित मौतों की वैश्विक रोकथाम में भारत की भूमिका प्रशंसनीय है. हालांकि, दुनिया भर में एचआईवी से पीड़ित और एचआईवी से संक्रमित होने के जोखिम वाले लगभग 92 प्रतिशत लोग भारत में निर्मित एंटी-रेट्रोवायरल (Anti-retrovirals) का सेवन कर रहे हैं.
एएसआई के अनुसार प्रवासियों में एचआईवी का प्रसार 4 गुना है, ट्रक चालकों में ये 5 गुना, केंद्रीय जेलों में बंद कैदियों और महिला यौनकर्मियों में 9 गुना, पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाले पुरुषों (MSM) में ये 16 गुना, ट्रांसजेंडर लोगों में 18 गुना और नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में एचआईवी प्रसार का 43 गुना है.
-भारत एक्सप्रेस