उमर खालिद
दिल्ली दंगों की साजिश मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद द्वारा दायर दूसरी नियमित जमानत याचिका कड़कड़डुमा कोर्ट ने खारिज कर दिया है. खालिद ने परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए 14 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी जमानत याचिका वापस लेने के बाद ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
सितंबर 2020 में किया गया था गिरफ्तार
खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था. उन पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कई आरोप लगाए गए हैं. तब से वह जेल में हैं. निचली अदालत ने सबसे पहले मार्च 2022 में खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने अक्टूबर 2022 में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया, फिर उन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दायर करनी पड़ी.
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था. शीर्ष अदालत के समक्ष उनकी याचिका को 14 बार स्थगित किया गया था. खालिद पर पिंजरा तोड़ की सदस्यों देवांगना कलीता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा और छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा सहित कई अन्य लोगों के साथ आरोप लगाया गया है.
इन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल
मामले में जिन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया गया है, उनमें पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर और शिफा-उर-रहमान, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं.
खालिद पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 16, 17 और 18, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है.