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ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर हादसा मामले में गिरफ्तार कार चालक सहित अन्य की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने दिया ये तर्क

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पीपी अतुल श्रीवास्तव ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा, कथूरिया लापरवाही में योगदान के दोषी नहीं हैं. लेकिन उन्होंने घटना को और गंभीर बना दिया था.

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सांकेतिक फोटो

ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर हादसा मामले में गिरफ्तार एसयूवी कार चालक, मनोज कथूरिया सहित अन्य की ओर से दायर जमानत याचिका को तीस हजारी कोर्ट ने खारिज कर दिया है. तीस हजारी कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार ने सभी की जमानत याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि सभी की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है. क्योंकि जांच अभी चल रही है. अगर अभी जमानत दी गई तो सबूतों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है. आरोपी मनुज कथूरिया की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है. कोर्ट 7 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा.

आरोपी मनोज कथूरिया और कोचिंग के सह मालिको तेजिंदर सिंह, परविंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह ने जमानत की कोर्ट से गुहार लगाई थी. कथूरिया शनिवार को अपनी स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल से उस सड़क से गुजरे थे, जहां बारिश का पानी भरा था. वाहन गुजरने के बाद पानी के दबाव से तीन मंजिला इमारत के गेट टूट गए थे और बेसमेंट में पानी भर गया था.

आरोपी के वकील ने क्या कहा?

कथूरिया के वकील मल्होत्रा ने उनकी जमानत का अनुरोध करते हुए अदालत से कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि क्या होने वाला है. आरोपी इस घटना को अंजाम देने का इरादा नहीं रखता था. उन्होंने कहा था की घटना के समय गाड़ी की स्पीड 15 किलोमीटर प्रति घंटा की थी. जल-जमाव वाले क्षेत्र में गाड़ी चलाना कठिन काम होता है. जल जमाव को रोकने के लिए नगर निगम है. उन्होंने कहा था कि जलजमाव रोकने के लिए न तो नगर निगम ने कोई काम किया और न ही दिल्ली जल बोर्ड ने. इस मामले में ट्रैफिक इंस्पेक्टर, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार नही किया गया है. रोड पर भी कोई नहीं था. पानी ढाई फीट ऊपर से आ रहा था.

कोचिंग के चार सह-मालिकों की ओर से पेश वकील अमित चड्डा ने कहा कि कोचिंग में लाइब्रेरी चलाना कोर्ट की लाइब्रेरी से अलग होता है, जहां किताबें नियत जगह पर रखी होती हैं. कोचिंग के लाइब्रेरी का इस्तेमाल क्लासेज के बीच में होता है, इसका दूसरे काम के लिए दुरुपयोग नहीं होता है. उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 102 के तहत सूचना और मंशा दो मुख्य हिस्से हैं. दूसरी धारा 106 में लापरवाही से मौत का है. धारा 102 और 106 विरोधाभासी हैं. ऐसे में दोनों धाराएं कोचिंग मालिकों पर नहीं लगाई जा सकती है.

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वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पीपी अतुल श्रीवास्तव ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा, कथूरिया लापरवाही में योगदान के दोषी नहीं हैं. लेकिन उन्होंने घटना को और गंभीर बना दिया था. उन्होंने अदालत को कथूरिया के सोशल मीडिया अकाउंट से लिए गए कुछ वीडियो दिखाए, जिसमें उन्हें वहीं एसयूवी चलाते हुए दिखाया गया है.

-भारत एक्सप्रेस



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