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कांग्रेस-सपा में तुष्टीकरण की होड़ लगी, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर एक शब्द नहीं निकलेगा: डॉ दिनेश शर्मा

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस या सपा के नेता अफगानिस्तान, फिलिस्तीन, बेरूत, लेबनान की बात तो कर सकते हैं, किंतु बांग्‍लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की बात नहीं कर सकते, क्योंकि उनमें इन्‍हें अपना वोट बैंक नहीं दिखता है.

Dr. Dinesh Sharma: उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में तुष्टीकरण की दौड़ लगी हुई है, कौन दल कितना ज्‍यादा तुष्टीकरण का खेल खेल सकता है, इसके लिए ये दोनों खूब जद्दोजहद कर रहे हैं.

डॉ. दिनेश शर्मा ने यह टिप्पणी तब की, जब कि उनसे एक पत्रकार द्वारा पूछा गया कि सपा पुलिस पर भी आरोप लगा रही है कि वह भाजपा के कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रही है तथा इस मुद्दे को सदन में भी उठाया जाएगा.

‘सम्भल में धारा-144 लगी, फिर क्यों जा रहे विपक्षी नेता’

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि समाजवादी पार्टी नाटक करती है. उनको पता होना चाहिए कि सम्भल में धारा-144 लगी हुई है. और, वहां पहले दिन के बाद एक भी घटना नहीं घटी है. टेलीविजन पर यदि सपा के जाने का नाटक चल जाएगा, तो कांग्रेस भी जाएगी. यह नाटक तब भी हो रहा था, जबकि 10 तारीख तक वहां पर सभी दलों के जाने पर रोक लगी हुई है. वहां धारा 144 लगी हुई है, जिसमें पांच से अधिक लोग एक जगह पर इकट्ठा नहीं हो सकते हैं.

डॉ. दिनेश शर्मा बोले, ‘अपने नेताओं को सम्भल में भेजने वाली कांग्रेस और सपा, वास्तव में ये दोनों दल शांत हो गए सम्भल को अशांत करना चाहते हैं.’ उन्होंने कहा कि सम्भल तो संभल गया है किंतु उपचुनाव में पराजय के बाद विरोधी दल नहीं संभल पा रहे हैं. हाल के उपचुनाव में विपक्ष को जिस प्रकार करारी हार मिली है, उससे विपक्ष संभल नहीं पाया है.

सपा अपने अल्पसंख्यक वोटों को कांग्रेस में जाने से बचाने में लगी

कांग्रेस-सपा पर जुबानी हमला करते हुए डॉ. दिनेश शर्मा ने आगे कहा कि इन दोनों के बीच के मतभेद छिपे नहीं है. सपा अपने अल्पसंख्यक वोटों को कांग्रेस में जाने से बचाने में लगी है और कांग्रेस सपा के अल्पसंख्यक मतों को अपने पाले में लाना चाहती है.

डॉ. दिनेश शर्मा बोले, ‘भाजपा सबको नागरिक मानकर उनके अधिकार दे रही है, इसीलिए अल्पसंख्यक अब भाजपा की ओर आ रहे हैं तथा रामपुर एवं कुंदरकी जैसे स्थानों में उन्‍होंने भाजपा के पक्ष में मतदान किया. भाजपा वहां की सीट जीत गई. उन्हें यह पता चल गया कि अल्पसंख्यकों के हित से सपा या कांग्रेस को कुछ लेना देना नहीं है. वे अब समझ गए हैं कि कांग्रेस और सपा को उनके हितों से कुछ लेना देना नहीं है. ये दल तो उन्हे वोट बैंक के रूप में उनका प्रयोग कर रहे हैं. इनको तो अल्पसंख्यकों का केवल वोट चाहिए, चाहे यह झूठा भ्रम फैलाकर मिले या दंगा कराकर मिले. ये वोट के लालच में कुछ भी कर सकते हैं.

सम्भल के बारे में इन दोनों दलों के नेताओं के बयान सरासर झूठे

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि सम्भल के बारे में इन दोनों दलों के नेताओं के बयान सरासर झूठे हैं. न्यायालय में यह मामला लंबित है. सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में जो आयेाग गठित किया है, उसने संम्भल का निरीक्षण किया है, उनकी रिपोर्ट का इंतजार किया जाना चाहिए.

डॉ. दिनेश शर्मा से जब यह पूछा गया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर आरोप लगाया है, तो उनका कहना था कि आरोप लगाना स्वाभाविक है, क्योंकि वे भाजपा से ही हारे हैं. कुंदरकी तक में हारे हैं, जहां अल्पसंख्यक 65 प्रतिशत हैं. वे कांग्रेस पर तो आरोप लगाएंगे नहीं, क्योंकि वह एक प्रकार से क्षेत्रीय पार्टी बन गई है, बल्कि अगर यह कहा जाय कि वह क्षेत्रीय पार्टी से भी छोटी पार्टी बन चुकी है. इसी प्रकार सपा अध्यक्ष बसपा पर भी आरोप नहीं लगाएंगे. वे जानते हैं कि भाजपा पर आरोप लगाएंगे तो कम से कम अखबार में उनका नाम आ जाएगा, इसलिए चाहे समाजवादी पार्टी को या कांग्रेस दोनों ही भाजपा पर आरोप लगाते हैं.

कट्टरपंथियों-तालिबानियों के चंगुल में फंस चुका बांग्‍लादेश

बांग्‍लादेश की स्थिति पर डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि बांग्‍लादेश अराजकता के दौर से गुजर रहा है. बांग्‍लादेश कट्टरपंथियों एवं तालिबानियों के चंगुल में फंस चुका है. वहां पर जिस प्रकार से इस्कॉन के शांतिप्रिय लोगों पर अत्याचार हो रहा है उसकी जितनी निंदा की जाये, कम है. वहां पर अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर जो अत्याचार हो रहा है इस सबको देखते हुए कांग्रेस या सपा के मुंह से एक शब्द अभी तक नहीं निकला है, क्योंकि वहां पर अल्पसंख्यक हिन्दू हैं.

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस या सपा के नेता अफगानिस्तान, फिलिस्तीन, बेरूत, लेबनान की बात तो कर सकते हैं, किंतु बांग्‍लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की बात नहीं कर सकते, क्योंकि उनमें इन्‍हें अपना वोट बैंक नहीं दिखता है. वोट बैंक की राजनीति करने वाले सपा, बसपा, कांग्रेस, माकपा, भाकपा एवं आप आज अस्तित्वविहीन से हो गए हैं. अब ये तरह तरह के आरोप लगाकर भारत की राजनीति में चर्चा में बने रहना चाहते हैं.

  • भारत एक्सप्रेस


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