
हिमाचल प्रदेश में बॉर्डर टूरिज्म को और बढ़ावा मिल रहा है. यहां शिपकी-ला दर्रे में बॉर्डर टूरिज्म की शुरुआत हुई है, जो एक ऐतिहासिक और निर्णायक मोड़ के रूप में सामने आई है. इससे राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को व्यापक लाभ मिलने की उम्मीद है. यह पहल न केवल सीमांत इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने का माध्यम बनेगी, बल्कि सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में विकास और स्थिरता को भी प्रोत्साहित करेगी.
सेना, ITBP और राज्य सरकार की संयुक्त पहल
इस महत्वपूर्ण पहल को भारतीय सेना, आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच बेहतरीन समन्वय और साझेदारी के साथ सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. यह आयोजन भारत की सीमाओं पर बसे गांवों और वहां की संस्कृति को देश और दुनिया के सामने लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने की अगुवाई
हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिपकी-ला में बॉर्डर टूरिज्म की शुरुआत की अगुवाई की और इस ऐतिहासिक अवसर पर कहा कि यह कदम सीमांत समुदायों के लिए आशा और समृद्धि का द्वार खोलेगा. उन्होंने विशेष रूप से भारतीय सेना की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि सेना न केवल देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है, बल्कि सीमांत क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी लगातार अपना योगदान दे रही है.
पर्यटन के नए अवसर
शिपकी-ला दर्रा, जो अब तक सामरिक दृष्टि से ही चर्चित था, अब पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा. यहां का अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय संस्कृति और सीमावर्ती जीवन की झलक देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेगी. इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार और व्यवसाय के अवसर मिलेंगे, बल्कि इन इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास को भी गति मिलेगी.
सीमांत विकास और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
यह पहल केवल पर्यटन को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीमावर्ती क्षेत्रों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने का एक भावनात्मक और व्यावहारिक माध्यम भी है. यह भारत की “वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज” योजना की भावना को भी दर्शाता है, जिसमें सीमांत गांवों को सशक्त, आत्मनिर्भर और जीवंत बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
शिपकी-ला में बॉर्डर टूरिज्म की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के लिए पर्यटन, सुरक्षा और सीमांत विकास — तीनों ही दृष्टियों से एक मील का पत्थर साबित होगी. यह पहल देश की सीमा पर बसे लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें गर्व का अनुभव कराने की दिशा में एक ठोस कदम है.
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