वायनाड त्रासदी (सांकेतिक तस्वीर).
Wayanad Tragedy: बीते 30 जुलाई को केरल के वायनाड जिले में आए विनाशकारी भूस्खलन को विपक्ष द्वारा राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की जा रही है. इस मांग की अगुआई वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी कर रहे हैं. हालांकि, विपक्ष में से किसी ने भी इस मांग की सत्यता के बारे में तथ्यों की जांच करने की जहमत नहीं उठाई, क्योंकि केंद्र सरकार के नियमों के तहत यह अवधारणा मौजूद नहीं है.
लोकसभा में क्या कहा गया
तत्कालीन गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन द्वारा 2013 में लोकसभा में दिए गए उत्तर के अनुसार, ‘प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है.’
जवाब में आगे कहा गया है, ‘भारत सरकार आपदा की तीव्रता और परिमाण, राहत सहायता का स्तर, समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार की क्षमता, सहायता और राहत प्रदान करने के लिए योजना के भीतर उपलब्ध विकल्प आदि को ध्यान में रखते हुए गंभीर प्रकृति की आपदा का फैसला करती है. प्राकृतिक आपदा के संदर्भ में तत्काल राहत और प्रतिक्रिया सहायता प्राथमिकता है. इस तरह कोई निश्चित निर्धारित मानदंड नहीं है. हालांकि ‘गंभीर प्रकृति’ की आपदा के लिए स्थापित प्रक्रिया का पालन करने के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) से अतिरिक्त सहायता पर भी विचार किया जाता है.’
राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
उन्होंने यह भी कहा था कि प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर आवश्यक बचाव एवं राहत उपाय करने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है.
मालूम हो कि केरल का सत्तारूढ़ गठबंधन (UDF) और विपक्ष ने केंद्र सरकार से 30 जुलाई को हुई भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का अनुरोध किया है, जिसमें वायनाड जिले के चूरलमाला, मुंडक्कई और अट्टामाला इलाके तबाह हो गए थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी लगातार यह मांग कर रहे हैं. आधिकारिक तौर पर 6 अगस्त 2024 तक इस विनाशकारी भूस्खलन में जान गंवाने वालों की संख्या 224 बताई गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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