भारत में कैंसर से जंग जीतने के लिए बड़ी तैयारी जरूरी
Health of Nation Report: भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों से स्वास्थ्य विशेषज्ञों का माथा ठनक रहा है. यहां पिछले 22 सालों में डेढ़ करोड़ से ज्यादा कैंसर के मरीजों की मौत हो चुकी है. इस मामले में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे नंबर पर आता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 9 में से 1 भारतीय को जीवन में कैंसर का खतरा हो सकता है.
हाल ही में आई हेल्थ ऑफ नेशन रिपोर्ट में कहा गया, “भारत में कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. यहां कैंसर के सालाना केस 2025 तक 15.7 लाख हो जाएंगे. इस तरह ये देश कैंसर की राजधानी बन जाएगा.” यह रिपोर्ट अपोलो हॉस्पिटल्स की ओर से जारी की गई.
कैंसर सेल्स की प्रतीकात्मक तस्वीर
इस रोग के निदान के लिए व्यापक प्रयासों की जरूरत
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में 2020 में सालाना कैंसर के मामलों की संख्या लगभग 14 लाख थी जो बढ़कर 2025 तक 15.7 लाख हो जाएगी. हालांकि, कैंसर के लक्षण वाले अधिकांश मामलों में समय रहते इसका पता चलने से इसे रोका जा सकता है. रिपोर्ट में कैंसर के कारणों को दूर करने के साथ प्रभावी रोकथाम और उपचार के उपाय लागू करने के लिए व्यापक सरकारी प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया गया है.
तम्बाकू का सेवन करते हैं 26.7 करोड़ वयस्क लोग
राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) में प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. इंदु अग्रवाल ने कहा, “भारत में कैंसर के उन कारणों में, जिनसे बचाव संभव है, तम्बाकू का सेवन सबसे ऊपर है.” उन्होंने आगे कहा, “लगभग 26.7 करोड़ वयस्क तम्बाकू का सेवन करते हैं, जो ओरल, फेफड़े और अन्य कैंसर की बीमारियों से जुड़ा हुआ है. अस्वास्थ्यकर आहार संबंधी आदतें और आरामदेह जीवनशैली आंत, स्तन और अग्नाशय के कैंसर के जोखिम को बढ़ा देती है.”
कैंसर की बड़ी वजह बनते हैं सर्वाइकल और लिवर
आबादी में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या भी कैंसर की दर बढ़ा रही है. वृद्ध व्यक्ति विभिन्न प्रकार के कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) और हेपेटाइटिस बी तथा सी वायरस जैसे संक्रमण क्रमशः सर्वाइकल और लिवर कैंसर का महत्वपूर्ण कारण बनते हैं.
कैंसर से संबंधित संक्रमणों को रोकने के लिए एचपीवी और हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है.
विशेषज्ञों ने सरकार द्वारा हाल ही में तीन और कैंसर दवाओं को सीमा शुल्क से छूट देने के प्रयासों की सराहना की.
आवश्यक कैंसर दवाओं पर सीमा शुल्क में कमी की गई
पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर, हेड एंड नेक कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक डॉ. प्रथमेश पाई ने कहा, “हाल के बजट में स्वास्थ्य सेवा व्यय में कमी देखी गई है, जिसमें आवश्यक कैंसर दवाओं पर सीमा शुल्क में कमी शामिल है. इस उपाय का उद्देश्य नए उपचारों को अधिक किफायती और सुलभ बनाना है. हालांकि स्वास्थ्य सेवा योजनाओं का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है.”
इस संकट से निपटने के लिए विशेषज्ञ जन जागरूकता, संगठित स्क्रीनिंग कार्यक्रमों और कैंसर अनुसंधान के लिए अधिक धन मुहैया कराने के महत्व पर जोर देते हैं.
डॉ. अग्रवाल ने कहा, “इसके लिए रोकथाम और समय रहते पता लगाना बहुत जरूरी है. इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके हम कैंसर के बोझ को काफी हद तक कम कर सकते हैं और इलाज के परिणामों में सुधार कर सकते हैं.”
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— भारत एक्सप्रेस
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