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उपन्यासकार Arundhati Roy के खिलाफ UAPA के तहत दर्ज FIR पर मुकदमा चलाने की मंजूरी, जानें क्या है पूरा मामला

इस मामले में अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ एफआईआर अक्टूबर 2010 में कश्मीर के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित द्वारा की गई शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी.

अरुंधति रॉय. (फाइल फोटो: IANS)

दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना (VK Saxena) ने शुक्रवार (14 जून) को उपन्यासकार अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) और कश्मीर के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन पर 2010 में नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी.

अधिकारियों के अनुसार, 2010 में कश्मीरी अलगाववाद का प्रचार करने वाले एक कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ बयान देने के लिए अरुंधति और शेख शौकत के खिलाफ यह कदम उठाया गया है.

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ एफआईआर (FIR) नई दिल्ली की एक अदालत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद दर्ज की गई है.

2010 का है मामला

अरुंधति रॉय और डॉ. हुसैन के खिलाफ अक्टूबर 2010 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, नई दिल्ली की अदालत के आदेश के बाद सुशील पंडित की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी. मामले के दो अन्य आरोपियों कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Sayed Ali Shah Geelani) और दिल्ली विश्वविद्यालय के लेक्चरर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी की कार्यवाही के दौरान मृत्यु हो गई.

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया, ‘दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 45 (1) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.’

पिछले साल अक्टूबर में एलजी ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 196 के तहत आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी, जिसमें 124ए (राजद्रोह), 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव के रखरखाव के लिए हानिकारक कार्य करना), 153बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप, दावे), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान) शामिल हैं.

-भारत एक्सप्रेस



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